ओम पर्वत के दर्शन से मिलती है मानसिक शांति, जानिए क्यों है ये खास
कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग में अनेक पवित्र धार्मिक स्थलों के दर्शन का अवसर मिलता है. इन्हीं महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है- ओम पर्वत. इस लेख में हम आपको ओम पर्वत से जुड़ी रोचक जानकारियां और इसके आध्यात्मिक महत्व के बारे में बताएंगे.

जून 2025 के अंतिम सप्ताह में कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर शुरू होने जा रही है. यह पवित्र यात्रा न केवल कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक सीमित रहती है, बल्कि इसके मार्ग में पड़ने वाले कई धार्मिक स्थलों के दर्शन का सौभाग्य भी श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है. इन्हीं में से एक है- ओम पर्वत. यह पर्वत अपनी अनोखी विशेषता के कारण श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है.
ओम पर्वत से कैलाश पर्वत की दूरी
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल की धारचूला तहसील में स्थित यह पर्वत समुद्र तल से करीब 5,900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग में पड़ने वाला नाभीढांग नामक स्थान इस पर्वत के दर्शन का प्रमुख स्थल है. नाभीढांग से जब श्रद्धालु इस पर्वत को देखते हैं तो उस पर बर्फ की प्राकृतिक आकृति में बना ‘ॐ’ स्पष्ट नजर आता है, जो सभी को चकित कर देता है. ओम पर्वत से कैलाश पर्वत की दूरी लगभग 85 किलोमीटर है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह 'ॐ' चिन्ह भगवान शिव की महिमा का प्रतीक है. चूंकि 'ॐ' मंत्र शिव का बीजाक्षर माना जाता है. इसलिए इसे भगवान शिव की उपस्थिति का संकेत भी माना जाता है. स्थानीय मान्यताओं में यह भी कहा जाता है कि यह 'ॐ' स्वयं भगवान शिव द्वारा अंकित किया गया है. कई श्रद्धालु मानते हैं कि इसके दर्शन मात्र से उनके भीतर आस्था और श्रद्धा की भावना गहराई से जागृत होती है.
प्रेरणास्रोत है ओम पर्वत
इसके अलावा, ओम पर्वत को एक शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा केंद्र भी माना जाता है. यहां आने वाले यात्रियों को मानसिक शांति, आंतरिक स्थिरता और दिव्यता का अनुभव होता है. ध्यान और साधना करने वाले लोग मानते हैं कि इस पर्वत की ओर मुख करके साधना करने से विशेष आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है. यही कारण है कि ओम पर्वत कैलाश यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बन जाता है.


