'स्तन कैंसर से बचाव का सबसे बड़ा हथियार – सही समय पर जांच!' ये 7 टेस्ट कर सकते हैं आपकी मदद
स्तन कैंसर अगर शुरुआती स्टेज में पकड़ में आ जाए, तो इसका इलाज आसान हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके लिए कौन-कौन से टेस्ट सबसे जरूरी हैं? मैमोग्राफी से लेकर बायोप्सी तक, ऐसे कई तरीके हैं जो इस बीमारी को पकड़ने में मदद कर सकते हैं. पर कौन-सा टेस्ट आपके लिए जरूरी है? और किन महिलाओं को खास सावधानी बरतनी चाहिए? जानिए वे 7 अहम जांचें, जो स्तन कैंसर के खतरे को कम कर सकती हैं! पूरी जानकारी के लिए पढ़ें पूरी खबर!

Health Tips: स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, 2022 में दुनियाभर में 2.3 मिलियन महिलाओं को स्तन कैंसर हुआ और 6.7 लाख महिलाओं की मौत हो गई. हालांकि, अगर इसका शुरुआती स्टेज में ही पता चल जाए, तो इलाज की संभावना काफी ज्यादा होती है. यही वजह है कि डॉक्टर नियमित जांच करवाने की सलाह देते हैं.
स्तन कैंसर दरअसल स्तन की कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि से होता है, जो दूध नलिकाओं या दूध बनाने वाले लोब्यूल्स में शुरू होती है. अगर इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है, जो घातक साबित हो सकता है. इसलिए, जरूरी है कि समय-समय पर जांच करवाई जाए. यहां 7 जरूरी टेस्ट बताए जा रहे हैं, जो स्तन कैंसर की पहचान करने में मदद कर सकते हैं.
1. स्तन स्व-परीक्षण (Breast Self-Examination)
यह कोई मेडिकल टेस्ट नहीं है, लेकिन हर महिला को खुद अपने स्तनों की नियमित जांच करनी चाहिए. यदि आपको कोई गांठ, त्वचा में बदलाव या निप्पल से डिस्चार्ज जैसा कुछ महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. जल्दी पता चलने पर इलाज आसान हो सकता है.
2. मैमोग्राफी (Mammography)
यह एक स्तन एक्स-रे टेस्ट है, जो स्तन ऊतक में किसी भी असामान्य बदलाव या गांठ का पता लगाता है. खासतौर पर 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं या जिन्हें स्तन कैंसर का ज्यादा खतरा है, उन्हें यह जांच जरूर करवानी चाहिए. यह छोटे-छोटे कैंसर सेल्स को भी पकड़ सकता है, जो शुरुआत में पहचानना मुश्किल होता है.
3. स्तन अल्ट्रासाउंड (Breast Ultrasound)
यह टेस्ट ध्वनि तरंगों की मदद से स्तन की इमेज बनाता है. इसका इस्तेमाल अक्सर मैमोग्राफी के बाद संदेहास्पद क्षेत्रों की जांच के लिए किया जाता है. यह गांठ और तरल से भरे सिस्ट में फर्क करने में मदद करता है, जिससे यह समझने में आसानी होती है कि गांठ कैंसरजनक है या नहीं.
4. चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (Breast MRI)
यह टेस्ट मैग्नेटिक फील्ड और रेडियो तरंगों का इस्तेमाल करके स्तन की विस्तृत तस्वीरें बनाता है. जिन महिलाओं को स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास हो या जिनके शरीर में कोई संदिग्ध गांठ हो, उनके लिए यह टेस्ट बहुत फायदेमंद हो सकता है. यह ऐसे ट्यूमर भी पकड़ सकता है, जो मैमोग्राफी या अल्ट्रासाउंड में छूट जाते हैं.
5. आनुवंशिक परीक्षण (Genetic Testing - BRCA1/BRCA2)
अगर परिवार में किसी को स्तन कैंसर हो चुका है, तो BRCA1 और BRCA2 नामक जीन की जांच करवाई जा सकती है. इन जीन में म्यूटेशन होने से स्तन और डिम्बग्रंथि (ओवरी) के कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. अगर किसी महिला को यह म्यूटेशन पाया जाता है, तो उसे अधिक बार जांच करवाने और निवारक उपाय अपनाने की सलाह दी जाती है.
6. बायोप्सी (Biopsy)
अगर किसी जांच में गांठ या कोई असामान्यता पाई जाती है, तो डॉक्टर बायोप्सी करने की सलाह देते हैं. इसमें स्तन के ऊतक का छोटा सा नमूना लिया जाता है और माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है कि उसमें कैंसर कोशिकाएं हैं या नहीं. यह कंफर्म करने का सबसे भरोसेमंद तरीका है कि गांठ कैंसरजनक है या नहीं.
7. HER2/neu परीक्षण
यह टेस्ट HER2 नामक जीन या प्रोटीन की अधिकता की जांच करता है, जो कैंसर कोशिकाओं को तेजी से बढ़ने में मदद करता है. अगर किसी मरीज का कैंसर HER2-पॉजिटिव पाया जाता है, तो डॉक्टर स्पेशल टारगेटेड थेरेपी देकर कैंसर की ग्रोथ को रोक सकते हैं.
क्यों जरूरी है समय-समय पर जांच?
➢ जल्दी पहचान से इलाज आसान हो जाता है.
➢ उच्च जोखिम वाली महिलाओं को सतर्क रहने की जरूरत है.
➢ रोजमर्रा की जिंदगी में सेल्फ-एक्ज़ामिनेशन और सही समय पर जांच करवाने से कैंसर से बचाव संभव है.
अगर आप या आपके परिवार में किसी को स्तन कैंसर की आशंका हो, तो इन टेस्ट्स के बारे में जानकारी रखना और समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत जरूरी है. याद रखें, जल्दी पहचान से ही जीवन बच सकता है!


