टैनिंग के ये मिथक कर सकते हैं आपकी स्किन को नुकसान, जानिए सच्चाई
आज की व्यस्त दिनचर्या में धूप से बचना मुश्किल है, जिससे टैनिंग आम हो गई है. लेकिन इससे जुड़ी कई गलतफहमियां हैं, जिन पर लोग आंख बंद करके भरोसा कर लेते हैं. इस लेख में हम टैनिंग से जुड़े आम मिथकों और उनकी सच्चाई पर रोशनी डालेंगे.

गर्मी के मौसम में त्वचा का रंग गहरा पड़ जाना यानी टैनिंग होना एक आम बात मानी जाती है. हालांकि, बहुत से लोग टैनिंग को केवल रंग के काले पड़ने से जोड़ते हैं, जबकि हकीकत इससे कहीं ज्यादा गहरी है. जब हमारी त्वचा की ऊपरी परत—जिसे एपिडर्मिस कहा जाता है—सूरज की अल्ट्रावायलेट (UV) किरणों के संपर्क में आती है, तो मेलानिन नामक पिगमेंट अधिक मात्रा में बनने लगता है, जिससे त्वचा पर गहरा रंग दिखाई देने लगता है.
समस्या सिर्फ टैनिंग से नहीं, बल्कि उससे जुड़ी गलतफहमियों से है. कई बार लोग बिना पूरी जानकारी के टैनिंग से जुड़ी बातों पर यकीन कर लेते हैं और उसी के अनुसार अपनी स्किन केयर करते हैं, जो बाद में नुकसानदेह साबित हो सकता है. आइए जानते हैं टैनिंग से जुड़े 5 बड़े मिथक और उनकी सच्चाई:
1. मिथक: टैनिंग सिर्फ गर्मियों में होती है
2. मिथक: जिनकी त्वचा पहले से डार्क है, उन्हें टैनिंग नहीं होती
3. मिथक: सनस्क्रीन लगाने से पूरी तरह टैनिंग से बच सकते हैं
सच्चाई: सनस्क्रीन त्वचा को एक हद तक UV किरणों से बचाती है, लेकिन यह 100% सुरक्षा नहीं देती. सही SPF चुनना, हर 2-3 घंटे में दोबारा लगाना और स्किन टाइप के अनुसार सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूरी होता है.
4. मिथक: नींबू-बेसन लगाने से टैनिंग तुरंत हट जाती है
सच्चाई: घरेलू नुस्खे जैसे नींबू और बेसन थोड़े समय के लिए राहत दे सकते हैं, लेकिन टैनिंग को पूरी तरह हटाने में सक्षम नहीं होते. अधिक प्रयोग से स्किन में जलन, ड्रायनेस या रैशेज हो सकते हैं.
5. मिथक: एक बार टैनिंग हट गई तो दोबारा नहीं होगी
सच्चाई: टैनिंग हटने के बाद भी अगर आप सूरज की किरणों से बचाव नहीं करते, तो दोबारा टैनिंग हो सकती है. स्किन को सूरज से प्रोटेक्ट करना हर मौसम में जरूरी है, ताकि बार-बार टैनिंग से बचा जा सके.


