सावन में महिलाएं क्यों पहनती हैं हरे कपड़े और चूड़ियां? जानिए इसका धार्मिक रहस्य
सावन का महीना आते ही हर ओर हरियाली और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. खासकर महिलाओं के बीच हरे रंग की साड़ियों, सूटों और चूड़ियों का चलन कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है. यह परंपरा यूं ही नहीं चली आ रही, बल्कि इसके पीछे छुपा है गहरा धार्मिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक रहस्य.

सावन का महीना सिर्फ बारिश, भक्ति और शिव आराधना का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह रंगों और परंपराओं का भी संगम है. खासतौर पर महिलाओं के लिए यह महीना बेहद खास होता है, क्योंकि इस दौरान वे हरे रंग के कपड़े और चूड़ियां पहनती हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे की असली वजह क्या है?
भगवान शिव की भक्ति के इस मास में हरा रंग सबसे पवित्र माना जाता है. जहां एक ओर यह हरियाली और समृद्धि का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह जीवन ऊर्जा, प्रेम और सौंदर्य का भी सूचक है. आइए जानते हैं कि सावन में हरा पहनना सिर्फ एक रिवाज नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपे हैं गहरे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण.
हरा रंग: हरियाली और समृद्धि का प्रतीक
सावन का महीना बारिश और हरियाली से जुड़ा होता है. प्रकृति इस समय हरे रंग से भर जाती है. ऐसे में हरा रंग प्राकृतिक ऊर्जा, उर्वरता और नई शुरुआत का प्रतीक बनता है. महिलाएं इस रंग को पहनकर खुद को प्रकृति से जोड़ती हैं.
धार्मिक मान्यता: देवी पार्वती और शिव की कृपा
धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो हरे रंग को मंगलता और सौभाग्य का रंग माना जाता है. देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था और सावन मास में ही उन्हें शिव की प्राप्ति हुई थी. हरा रंग सौभाग्य और वैवाहिक सुख का प्रतीक बन गया.
चूड़ियां पहनने का वैज्ञानिक पहलू
हरे रंग की चूड़ियां पहनना केवल श्रृंगार नहीं, बल्कि महिलाओं के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा और हार्मोन संतुलन बनाए रखने में मदद करता है. चूड़ियों के कम्पन से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और मानसिक तनाव कम होता है.
मानसिक शांति और ताजगी
हरे रंग को शांतिपूर्ण और रिलैक्सिंग कलर भी माना जाता है. सावन में व्रत, पूजा और उपवास के दौरान हरा रंग पहनने से महिलाओं को मानसिक स्थिरता मिलती है और उनकी ऊर्जा सकारात्मक बनी रहती है.
कुंवारी लड़कियों के लिए विशेष महत्व
कुंवारी कन्याएं इस दौरान हरे वस्त्र और चूड़ियां पहनकर सोमवार व्रत करती हैं ताकि उन्हें अच्छा वर प्राप्त हो. यह परंपरा सिर्फ एक धार्मिक विश्वास नहीं, बल्कि भावनात्मक संबल का प्रतीक भी है.


