8 मार्च को क्यों मनाया जाता है महिला दिवस? कब हुई इसकी शुरुआत,जानें इसका पूरा इतिहास
हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, जो महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न और लैंगिक समानता की वकालत करने का दिन है. इसकी शुरुआत 1908 में न्यूयॉर्क में महिलाओं के अधिकारों के लिए किए गए आंदोलन से हुई, जिसमें बेहतर वेतन और वोटिंग अधिकार की मांग उठी. 1911 में पहली बार ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में इसे आधिकारिक रूप से मनाया गया.

हर साल 8 मार्च को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) मनाया जाता है. यह दिन महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने, लैंगिक समानता की वकालत करने और समाज में महिलाओं की भूमिका को सम्मान देने के लिए समर्पित है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन की शुरुआत कैसे हुई और यह क्यों मनाया जाता है?
महिला दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि नारी सशक्तिकरण, संघर्ष और सफलता का प्रतीक है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और समाज में उनकी बराबरी सुनिश्चित करना है. आइए जानते हैं इस खास दिन के इतिहास, महत्व और 2025 की थीम के बारे में.
महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई?
आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं, लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था. एक समय था जब महिलाओं को न तो शिक्षा, वोटिंग का अधिकार और न ही पुरुषों के बराबर दर्जा दिया जाता था. इसी असमानता के खिलाफ 1908 में न्यूयॉर्क में करीब 15,000 महिलाओं ने विशाल प्रदर्शन किया. वे बेहतर वेतन, काम करने की उचित परिस्थितियां और वोटिंग के अधिकार की मांग कर रही थीं.
इस आंदोलन ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा. 1910 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन हुआ, जिसमें जर्मनी की समाजवादी नेता क्लारा जेटकिन ने प्रस्ताव रखा कि हर साल महिलाओं के अधिकारों के लिए एक विशेष दिन मनाया जाना चाहिए. इस विचार को कई देशों ने समर्थन दिया और 1911 में पहली बार ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में महिला दिवस मनाया गया.
8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है महिला दिवस?
1917 की रूसी क्रांति के दौरान महिलाओं ने 8 मार्च को बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया. उन्होंने युद्ध और शोषण के खिलाफ आवाज उठाई और सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया. इस आंदोलन के परिणामस्वरूप, रूस में महिलाओं को वोटिंग का अधिकार मिला. इसी वजह से 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में चुना गया. बाद में, संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 1977 में आधिकारिक रूप से 8 मार्च को महिला दिवस घोषित कर दिया. तब से यह दिन महिलाओं की समानता, स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए समर्पित हो गया.
महिला दिवस क्यों है इतना खास?
आज भी महिलाएं कई चुनौतियों का सामना कर रही हैं. लैंगिक असमानता, घरेलू हिंसा, वेतन में भेदभाव और महिला शिक्षा जैसे मुद्दे अभी भी मौजूद हैं. ऐसे में यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें महिलाओं के लिए एक समान, सुरक्षित और सशक्त समाज बनाने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे.
महिला दिवस मनाने का उद्देश्य:
✅ महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना
✅ महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना
✅ लैंगिक समानता (Gender Equality) को बढ़ावा देना
✅ महिला शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों में सुधार करना
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम
हर साल महिला दिवस एक खास थीम के साथ मनाया जाता है. 2025 की थीम 'Accelerate Action' (तेजी से कार्य करना) रखी गई है, जिसका उद्देश्य महिलाओं की प्रगति को गति देना और उनकी आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक भागीदारी को मजबूत करना है.
नारी शक्ति को सलाम!
आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं – राजनीति, विज्ञान, खेल, कला और व्यापार सभी में उन्होंने अपनी जगह बनाई है.
कल्पना चावला ने अंतरिक्ष में उड़ान भरकर भारत का नाम रोशन किया.
मैरी कॉम ने बॉक्सिंग में विश्व विजेता बनकर नारी शक्ति की मिसाल पेश की.
इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ी.
ऐसी अनगिनत महिलाएं हैं जिन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर उन्हें सही अवसर मिले, तो वे किसी भी क्षेत्र में कमाल कर सकती हैं. इस महिला दिवस पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम महिलाओं के सम्मान, अधिकारों और उनकी उन्नति के लिए हमेशा आवाज उठाएंगे.


