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Akshaya Tritiya 2025: क्यों है यह दिन इतना खास? पढ़िए अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया को अखा तीज भी कहा जाता है. ये हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. यह दिन शुभ कार्यों, दान-पुण्य और समृद्धि के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन किया गया कोई भी पुण्य कर्म कभी क्षय नहीं होता.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया को 'अखा तीज' या 'अक्ति' के नाम से भी जाना जाता है. ये हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ और पुण्यदायक तिथि मानी जाती है. यह पर्व वैसाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इस वर्ष यह दिन 30 अप्रैल को पड़ रहा है. 'अक्षय' शब्द का अर्थ होता है जो कभी क्षय न हो. यह दिन ऐसे पुण्य कार्यों के लिए जाना जाता है, जिनका फल अनंत काल तक बना रहता है.

इस दिन स्वर्ण खरीदने की परंपरा भी है, जिसे समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है. यही नहीं, इस दिन किया गया दान, तप, पूजा और यज्ञ अनंत पुण्य प्रदान करता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम का अवतरण भी हुआ था.

अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

भविष्य पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों के ज्येष्ठ भ्राता युधिष्ठिर को अक्षय तृतीया की महिमा बताई थी. उन्होंने एक धर्मनिष्ठ वैश्य महोदय की कथा सुनाई, जो सत्यव्रती, मधुरभाषी और धार्मिक प्रवृत्ति के थे.

महोदय जीवन में अत्यंत व्यस्त होने के बावजूद, वे सदैव धार्मिक चर्चा में रुचि लेते थे और संतों की वाणी में श्रद्धा रखते थे. एक यात्रा के दौरान उन्होंने कुछ ऋषियों को यह कहते सुना कि जब अक्षय तृतीया रोहिणी नक्षत्र और बुधवार के दिन पड़े, तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है. उस समय किया गया कोई भी पुण्य कार्य अक्षय फल देता है.

इस ज्ञान से प्रेरित होकर महोदय ने गंगा तट पर जाकर अपने पितरों का तर्पण किया, फिर लौटकर सामर्थ्य अनुसार दान दिए. उन्होंने जो दान दिए, उनमें शामिल थे:

  • जल से भरे घट

  • जौ, नमक और चना

  • दही-चावल (दध्योदन)

  • गुड़, मिठाई और दुग्ध उत्पाद

हालांकि उनकी पत्नी सांसारिक मोह में उलझी हुई थी और इस दान का विरोध कर रही थी, फिर भी महोदय अपनी धार्मिक निष्ठा से विचलित नहीं हुए. उनके इस तप और दान के पुण्य से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई.

पुनर्जन्म में महोदय कुशावपुरी के एक क्षत्रिय कुल में जन्मे. वे अत्यंत धनाढ्य बने और अनेक यज्ञ, दान जैसे गौदान, स्वर्णदान, भूमि दान और अन्नदान करके गरीबों की सेवा की. उनके द्वारा किया गया दान कभी घटा नहीं. यह सिद्ध करता है कि अक्षय तृतीया पर किया गया पुण्य कर्म जन्मों तक अक्षय रहता है.

अक्षय तृतीया पर करें ये विशेष कर्म

श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन:

  1. स्नान करें

  2. भगवान वासुदेव की पूजा करें

  3. पितरों का तर्पण करें

  4. एक समय भोजन करें

  5. यवों से हवन करें

इन वस्तुओं का दान माना गया विशेष

  • जल से भरे घड़े

  • जौ, गेहूं, चना, सत्तू

  • मौसमी फल

  • छाते, जूते, वस्त्र, गाय और स्वर्ण

विशेष रूप से रोहिणी नक्षत्र में भगवान शिव की उपासना और उदकुंभ दान करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है.

अन्य ग्रंथों में भी वर्णित है महिमा

विष्णु धर्मोत्तर पुराण में भी इस दिन की महिमा विस्तार से बताई गई है. इसके अनुसार, इस दिन व्रत रखने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है. जब यह दिन कृतिका नक्षत्र के साथ आता है तो इसका प्रभाव और अधिक हो जाता है. भगवान विष्णु को सत्तू और अक्षत (अखंड चावल) से पूजा करनी चाहिए. सत्तू और अक्षत से हवन कर ब्राह्मणों को अर्पण करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है.

Disclaimer: ये आर्टिकल धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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30 April 2025, 09:09 AM IST

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