महादेव का अद्भुत मंदिर, जो दिन में दो बार हो जाता है गायब! जानें इसके पीछे का रहस्य

गुजरात में स्तंभेश्वर महादेव मंदिर एक अनोखा मंदिर है, जो दिन में दो बार समुद्र में लुप्त हो जाता है और पुनः प्रकट होता है. यह मंदिर ताड़कासुर वध की घटनाओं से जुड़ा हुआ है। यहां शिवलिंग की स्थापना स्वयं कार्तिकेय ने की थी बढ़ती हुई ज्वार के कारण यह मंदिर अदृश्य हो जाता है.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

भारत अपने प्राचीन मंदिरों और विविधता के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां कई मंदिर हैं जो अपनी अद्भुत और रहस्यमयी विशेषताओं के कारण श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं. गुजरात में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जो दिन में दो बार दिखता और गायब हो जाता है. इस मंदिर का नाम स्तंभेश्वर महादेव मंदिर है.

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर गुजरात के वडोदरा जिले में जम्बूसर के पास कावी कम्बोई गांव में स्थित है. यह मंदिर अरब सागर के तट पर स्थित है. यह मंदिर लगभग 150 वर्ष पहले बनाया गया था. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह दिन में दो बार प्रकट होता है और फिर समुद्र में डूब जाता है तथा थोड़ी देर बाद पुनः प्रकट होता है. इस मंदिर का रहस्य क्या है?

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास

इस मंदिर से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. इनमें से एक कथा तारकासुर के अंत और स्तंभेश्वर की स्थापना की है. एक समय की बात है, तारकासुर नाम का एक शक्तिशाली राक्षस था. उन्होंने अपनी कठोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया. भगवान शिव ने उनसे वरदान मांगने को कहा. तारकासुर ने अमरता का वरदान मांगा, लेकिन भगवान शिव ने कहा कि यह संभव नहीं है. तब तारकासुर ने वरदान मांगा कि उसका वध केवल शिव के पुत्र द्वारा ही हो और वह पुत्र भी केवल छह दिन का होना चाहिए. भगवान शिव ने उसे यह वरदान दिया.

जानें इसके पीछे का रहस्य 

वरदान प्राप्त करने के बाद तारकासुर अहंकारी हो गया. उसने देवताओं और ऋषियों को परेशान करना शुरू कर दिया. उसके अत्याचारों से परेशान होकर सभी लोग भगवान शिव के पास गए और तारकासुर का वध करने की प्रार्थना की. भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना सुनी और श्वेता पर्वत श्रृंखला से छह दिन के शिशु कार्तिकेय का जन्म हुआ. कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया, लेकिन जब उन्हें पता चला कि तारकासुर शिव का भक्त था, तो उन्हें बहुत दुख हुआ.

कार्तिकेय को अपने किये पर पछतावा हुआ. उसने भगवान विष्णु से तपस्या का मार्ग मांगा. भगवान विष्णु ने उन्हें उस स्थान पर शिवलिंग स्थापित करने की सलाह दी जहां उन्होंने तारकासुर का वध किया था. कार्तिकेय ने वैसा ही किया. उन्होंने वहां एक सुन्दर शिवलिंग स्थापित किया. यह स्थान बाद में स्तंभेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ. आज भी यह मान्यता है कि कार्तिकेय उस शिवलिंग पर जल चढ़ाने आते हैं. इस मंदिर के लुप्त होने के पीछे एक प्राकृतिक कारण है. यह मंदिर ऐसे स्थान पर स्थित है जहां उच्च ज्वार आता है. जब ज्वार आता है तो मंदिर पानी में डूब जाता है. जब ज्वार आता है तो जल स्तर कम हो जाता है और मंदिर पुनः दिखाई देने लगता है.

स्तंभेश्वर महादेव के दर्शन कैसे करें?

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन के लिए आपको ज्वार के समय का ध्यान रखना होगा. मंदिर के पुजारी आपको ज्वार आने का समय बता देंगे ताकि आप ज्वार आने के बाद ही मंदिर में दर्शन कर सकें.

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के बारे में कई मिथक हैं. कुछ लोगों का मानना ​​है कि भगवान शिव स्वयं इस मंदिर में प्रकट होते हैं. कुछ लोगों का मानना ​​है कि इस मंदिर में मांगी गई मुरादें पूरी होती हैं.
 

calender
04 February 2025, 01:58 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो