क्या लहसुन-प्याज खाने वाले कर सकते हैं लड्डू गोपाल की सेवा? प्रेमानंद जी महाराज ने दिया जवाब
आध्यात्मिकता की ओर बढ़ते लोगों के मन में कई सवाल उठते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या लहसुन-प्याज खाने वाले लोग लड्डू गोपाल की सेवा कर सकते हैं? इस पर प्रेमानंद जी महाराज ने स्पष्ट किया कि लहसुन और प्याज का सेवन पाप नहीं है, लेकिन यह मानसिक शांति और भक्ति में बाधा डाल सकता है, क्योंकि ये तमोगुणी भोजन की श्रेणी में आते हैं.

आज के समय में लोग आध्यात्मिक जीवन अपनाने और धार्मिक नियमों का पालन करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन कई बार उनके मन में ऐसे सवाल उठते हैं, जिनका उत्तर खोज पाना मुश्किल होता है. इन्हीं में से एक सवाल यह भी है कि क्या लहसुन और प्याज खाने वाले लोग लड्डू गोपाल की सेवा कर सकते हैं? यह सवाल हाल ही में एक भक्त ने प्रसिद्ध संत प्रेमानंद जी महाराज से किया.
इस सवाल ने कई भक्तों को सोचने पर मजबूर कर दिया, क्योंकि हिंदू धर्म में लहसुन और प्याज को तामसिक भोजन माना जाता है. ऐसे में प्रेमानंद जी महाराज ने इसका क्या उत्तर दिया? क्या लहसुन-प्याज खाने से भक्ति प्रभावित होती है? आइए जानते हैं.
लहसुन-प्याज और भक्ति का संबंध
प्रेमानंद जी महाराज ने स्पष्ट किया कि लहसुन और प्याज का सेवन करना किसी भी तरह से पाप नहीं है, लेकिन यह भक्ति और मानसिक शांति को प्रभावित कर सकता है. उनके अनुसार, ये दोनों चीजें तमोगुणी भोजन की श्रेणी में आती हैं, जिनका प्रभाव इंसान के मन और विचारों पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि पूजा-पाठ और भक्ति के दौरान जितना शुद्ध आहार ग्रहण किया जाए, उतना ही अच्छा होता है.
क्या लड्डू गोपाल की सेवा पर असर डालता है?
भक्त के सवाल पर प्रेमानंद जी महाराज ने जवाब दिया कि भगवान की सेवा पूरी श्रद्धा और शुद्धता से की जानी चाहिए. लड्डू गोपाल को तामसिक भोजन का भोग नहीं लगाया जाता, इसलिए उनकी सेवा करते समय व्यक्ति को शुद्ध और सात्विक आहार अपनाने की कोशिश करनी चाहिए.
भक्ति में दिखावा न करें
प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि भगवान की सेवा का तरीका खास होना चाहिए. उन्होंने भक्तों को सलाह दी कि लड्डू गोपाल के स्नान, श्रृंगार और भोग को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित न करें, क्योंकि भक्ति का असली स्वरूप निस्वार्थ और गोपनीय होता है. उन्होंने कहा, *"यदि भक्ति में अहंकार आ जाए, तो वह भक्ति का वास्तविक रूप नष्ट कर देता है."
यदि कोई व्यक्ति लहसुन और प्याज का सेवन करता है, तो भी वह भगवान की सेवा कर सकता है, लेकिन यदि संभव हो तो सात्विक आहार अपनाना ज्यादा शुभ होता है. प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, भगवान को प्रेम, शुद्धता और समर्पण से की गई सेवा ही प्रिय होती है.


