गणेश जी की सूंड की दिशा: क्या देती है खास संदेश? जानें सुख-समृद्धि के संकेतों का अनोखा रहस्य
भगवान गणेश का भव्य उत्सव हर साल लाखों भक्तों के दिलों में उत्साह भर देता है. इस पावन अवसर पर गणपति जी की सूंड की दिशा का खास महत्व होता है. जो अलग-अलग संदेश और आशीर्वाद देती है. बाईं ओर सूंड वाली गणेश प्रतिमा सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक मानी जाती है, जो गृहस्थ जीवन को खुशहाल बनाने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है.

Ganesh Chaturthi: गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना हर भक्त के लिए आस्था और उत्सव का प्रतीक होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणपति बप्पा की सूंड की दिशा न केवल उनकी आकृति को दर्शाती है बल्कि आपके जीवन में आने वाले शुभ-अशुभ परिणामों को भी प्रभावित कर सकती है? वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मूर्ति की सूंड किस दिशा में मुड़ी है यह बेहद महत्वपूर्ण होता है. अगर आप गणेश चतुर्थी अपने घर, ऑफिस या दुकान में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं तो सूंड की दिशा के आधार पर यह जान लेना आवश्यक है कि कौन-सी मूर्ति आपके लिए सबसे सही रहेगी.
बाईं ओर सूंड वाली गणेश प्रतिमा
सबसे शुभ और सरल मानी जाती है
वास्तु और ज्योतिषाचार्यों की मान्यता के अनुसार, बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाली गणेश प्रतिमा को वाममुखी गणेश कहा जाता है और यह घर के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है.
महत्व:- यह प्रतिमा सुख, शांति, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक होती है.
लाभ:- घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
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पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं.
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आर्थिक समृद्धि बढ़ती है.
स्थापित करने का नियम
इस प्रकार की प्रतिमा को घर में कहीं भी स्थापित किया जा सकता है. इसके लिए विशेष नियमों का पालन आवश्यक नहीं है, जिससे यह गृहस्थ जीवन के लिए आदर्श मानी जाती है.
दाईं ओर सूंड वाली गणेश प्रतिमा
दाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाली गणेश प्रतिमा को दक्षिणमुखी गणेश कहा जाता है. यह मूर्ति शक्ति और सिद्धि की प्रतीक मानी जाती है, लेकिन इनकी पूजा में विशेष सावधानी बरतनी होती है.
महत्व:- यह प्रतिमा हठ और दृढ़ निश्चय का संकेत देती है. माना जाता है कि यह भक्त को मोक्ष की दिशा में अग्रसर करती है.
लाभ:- यदि विधिपूर्वक पूजा की जाए तो यह धन और वैभव का द्वार खोल सकती है.
स्थापित करने का नियम
इस प्रतिमा को घर में रखने से पहले किसी अनुभवी पंडित या वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक है. पूजा में किसी भी प्रकार की चूक से इसके विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं.
सीधी सूंड वाली गणेश प्रतिमा
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आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति का प्रतीक
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भगवान गणेश की सीधी सूंड वाली प्रतिमा अत्यंत दुर्लभ होती है, लेकिन यह व्यक्ति के जीवन में संतुलन, ध्यान और मानसिक स्पष्टता लाने में सहायक मानी जाती है.
महत्व:- इसे सुषुम्णा गणेश कहा जाता है. यह प्रतिमा ध्यान, योग और साधना करने वालों के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है.
लाभ:- मानसिक शांति प्राप्त होती है.
साधना में सफलता मिलती है.
आध्यात्मिक मार्ग पर बढ़ने में सहायता मिलती है.
स्थापित करने का नियम
इस प्रकार की मूर्ति की स्थापना भी किसी जानकार पंडित की सलाह से ही करनी चाहिए, ताकि इसके पूर्ण लाभ प्राप्त किए जा सकें.
गणेश जी की मूर्ति की सूंड की दिशा न केवल उनकी आकृति का एक पहलू है, बल्कि यह उनके स्वरूप, शक्तियों और भक्तों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी दर्शाती है. यदि आप इस गणेश चतुर्थी अपने घर या कार्यस्थल पर बप्पा की मूर्ति स्थापित कर रहे हैं, तो सूंड की दिशा के अनुसार विचार कर ही मूर्ति का चयन करें.
Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


