Garuda Purana: मृत्यु के बाद आत्मा को 24 घंटे में दिखाए जाते हैं उसके कर्म, फिर तय होता है भाग्य!
Garuda Purana: मृत्यु, जीवन का एक अटल सत्य है. हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, शरीर नश्वर है, लेकिन आत्मा अमर होती है. जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा का एक नया सफर शुरू होता है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा के साथ क्या होता है और उसे स्वर्ग या नर्क किस आधार पर मिलता है.

Garuda Purana: मृत्यु जीवन का एक अटल सत्य है, जिससे कोई नहीं बच सकता. हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एकगरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा के साथ क्या होता है. इस ग्रंथ के अनुसार, आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार यमदूत ले जाते हैं और उसे उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब दिखाते हैं. इसके बाद आत्मा का मार्ग तय होता है या तो स्वर्ग की ओर या नर्क की ओर.
गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्मा शरीर त्यागने के बाद एक खास यात्रा पर निकलती है, जिसमें उसे यमलोक के नियमों से गुजरना पड़ता है. यह यात्रा 13 दिनों तक चलती है, जिसमें आत्मा को अपने कर्मों का लेखा-जोखा दिखाया जाता है. आइए विस्तार से जानते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है और उसे किन मार्गों से गुजरना पड़ता है.
मृत्यु के बाद आत्मा की पहली यात्रा
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब कोई व्यक्ति इस संसार से विदा लेता है, तो उसकी आत्मा को लेने के लिए दो यमदूत आते हैं. यह यात्रा आत्मा के कर्मों के अनुसार होती है. सज्जन व्यक्ति की आत्मा को शांति से निकाला जाता है और उसे किसी तरह की पीड़ा नहीं होती. पापी व्यक्ति की आत्मा को पीड़ा सहनी पड़ती है और यमदूत उसे बलपूर्वक ले जाते हैं.
मृत्यु के 24 घंटे के भीतर यमदूत आत्मा को उसके पूरे जीवन के कर्म दिखाते हैं. इसके बाद आत्मा को उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने देह त्यागी थी. वहां आत्मा 13 दिनों तक रहती है, जब तक कि उत्तर क्रियाएं पूरी नहीं हो जातीं. इसके बाद ही उसे यमलोक की यात्रा पर ले जाया जाता है.
तीन मार्गों से तय होती है आत्मा की गति
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा के लिए तीन प्रकार के मार्ग होते हैं, जो पूरी तरह से उसके कर्मों पर निर्भर करते हैं.
1.अर्चि मार्ग (स्वर्ग का मार्ग): - यह मार्ग उन पुण्य आत्माओं को मिलता है, जिन्होंने जीवन में धर्म, सत्य और भलाई के कार्य किए होते हैं.इस मार्ग पर चलने वाली आत्माएंब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा करती हैं.
2.धूम मार्ग (पितृलोक का मार्ग): यह मार्ग उन आत्माओं के लिए होता है, जिन्होंने संतुलित जीवन जिया हो—अर्थात न पूरी तरह पापी, न पूरी तरह पुण्यात्मा. इन आत्माओं को पितृलोक भेजा जाता है, जहां वे पूर्वजों के साथ रहती हैं.
3.उत्पत्ति-विनाश मार्ग (नर्क का मार्ग): यह मार्ग पापी आत्माओं के लिए होता है, जिन्होंने अपने जीवन में अधर्म, अन्याय और बुरे कर्म किए होते हैं. इस मार्ग पर चलने वाली आत्माओं को नर्क में भेजा जाता है, जहां उन्हें उनके कर्मों के अनुसार दंड मिलता है.
यमलोक में आत्मा के कर्मों का लेखा-जोखा
जब आत्मा यमलोक पहुंचती है, तो वहां यमराज के दरबार में उसके कर्मों का पूरा लेखा-जोखा किया जाता है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि यमराज के पास'चित्रगुप्त' नामक देवता होते हैं, जो हर आत्मा के अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं. अगर आत्मा ने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं, तो उसे स्वर्ग में भेजा जाता है, जहां वह सुख-संपत्ति का आनंद लेती है.अगर आत्मा ने पाप किए हैं, तो उसे नर्क में भेजा जाता है, जहां उसे उसके कर्मों के अनुसार दंड भोगना पड़ता है.
कर्मों के अनुसार तय होती है आत्मा की यात्रा
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा के सफर की दिशा पूरी तरह सेउसके कर्मों पर निर्भर करती है. जो व्यक्ति जीवन में धर्म और सत्य के मार्ग पर चलता है, उसे पुण्य का फल मिलता है और स्वर्ग प्राप्त होता है. वहीं, जो अधर्म और पाप के रास्ते पर चलता है, उसे नर्क में दंड भुगतना पड़ता है. इसलिए, गरुड़ पुराण हमें सिखाता है कि हमें अपने जीवन में सद्कर्म करने चाहिए ताकि हमारी आत्मा को मृत्यु के बाद शांति और मोक्ष की प्राप्ति हो सके.


