एक साल में कितनी बार आती है एकादशी? जानिए व्रत के नियम और विशेष बातें
हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में दो बार एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि आती है. इस तरह साल भर में कुल 24 एकादशियां होती हैं. लेकिन जब किसी वर्ष में अधिकमास (मलमास) या क्षयमास आता है, तब एकादशियों की संख्या बढ़कर 26 या 27 तक भी हो सकती है. एकादशी का संबंध सीधे भगवान विष्णु से होता है. इस दिन उपवास रखकर विष्णु भगवान की पूजा करने से पापों से मुक्ति, सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में दो बार एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि आती है. इस तरह साल भर में कुल 24 एकादशियां होती हैं. लेकिन जब किसी वर्ष में अधिकमास (मलमास) या क्षयमास आता है, तब एकादशियों की संख्या बढ़कर 26 या 27 तक भी हो सकती है. एकादशी का संबंध सीधे भगवान विष्णु से होता है. इस दिन उपवास रखकर विष्णु भगवान की पूजा करने से पापों से मुक्ति, सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
एकादशी तिथि का खास महत्व
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत खास महत्व है. यह तिथि हर महीने दो बार आती है, एक बार शुक्ल पक्ष (चांद के बढ़ने का समय) और एक बार कृष्ण पक्ष (चांद के घटने का समय). इस तरह एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां होती हैं. कभी-कभी जब साल में अधिकमास (मलमास) या क्षयमास आता है, तो इनकी संख्या 26 या 27 तक भी हो जाती है. एकादशी का संबंध भगवान विष्णु से है और इस दिन व्रत रखकर उनकी पूजा करने से पापों से मुक्ति, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मुख्य एकादशियों के नाम और उनका महत्व क्या है
1. पुत्रदा एकादशी (पौष शुक्ल पक्ष)- संतान की प्राप्ति के लिए की जाती है. इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से संतान सुख मिलता है.
2. षट्तिला एकादशी (माघ कृष्ण पक्ष)- इस दिन तिल का विशेष महत्व है. तिल से स्नान, दान और भोजन करने से पाप नष्ट होते हैं और पूर्वजों को शांति मिलती है.
3. जया एकादशी (माघ शुक्ल पक्ष)- यह व्रत मोक्षदायक माना गया है. इससे पितृदोष और नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं.
4. विजया एकादशी (फाल्गुन कृष्ण पक्ष)- भगवान राम ने लंका विजय से पहले यह व्रत किया था. यह सफलता और विजय देने वाला व्रत है.
5. आमलकी एकादशी (फाल्गुन शुक्ल पक्ष)- इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. यह व्रत आयु वृद्धि और पवित्रता प्रदान करता है.
6. पापमोचिनी एकादशी (चैत्र कृष्ण पक्ष)- सभी पापों को नष्ट करने वाला व्रत है.
7. कामदा एकादशी (चैत्र शुक्ल पक्ष)- सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला व्रत है.
8. वरूथिनी एकादशी (वैशाख कृष्ण पक्ष)- यह व्रत दुर्भाग्य को दूर करके सौभाग्य प्रदान करता है.
9. मोहिनी एकादशी (वैशाख शुक्ल पक्ष)- मोह और भ्रम से मुक्ति दिलाने वाला व्रत.
10. अपरा एकादशी (ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष)- पापों का नाश और स्वर्गलोक की प्राप्ति के लिए उत्तम है.
11. निर्जला एकादशी (ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष)- सबसे कठिन व्रत, जिसमें जल का भी त्याग किया जाता है. इससे सभी एकादशियों का फल मिलता है.
12. योगिनी एकादशी (आषाढ़ कृष्ण पक्ष)- स्वास्थ्य और शांति प्रदान करती है.
13. देवशयनी एकादशी (आषाढ़ शुक्ल पक्ष)- इस दिन से भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं; चातुर्मास की शुरुआत होती है.
14. कामिका एकादशी (श्रावण कृष्ण पक्ष)- पापों से मुक्ति और सौभाग्य देने वाली एकादशी.
15. पवित्रा एकादशी (श्रावण शुक्ल पक्ष)- यह व्रत मन और शरीर को शुद्ध करता है.
16. अजा एकादशी (भाद्रपद कृष्ण पक्ष)- सात जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत.
17. पार्श्व एकादशी (भाद्रपद शुक्ल पक्ष)- भगवान विष्णु इस दिन करवट बदलते हैं.
18. इंदिरा एकादशी (आश्विन कृष्ण पक्ष)- पितरों की आत्मा की शांति के लिए की जाती है.
19. पापांकुशा एकादशी (आश्विन शुक्ल पक्ष)- व्यक्ति को नरक से मुक्ति और विष्णुलोक की प्राप्ति होती है.
20. रमा एकादशी (कार्तिक कृष्ण पक्ष)- यह व्रत धन और सौभाग्य प्रदान करता है.
21. देवउठनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल पक्ष)- इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं, और विवाह मुहूर्त शुरू होते हैं.
22. उत्पन्ना एकादशी (मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष)- एकादशी देवी का जन्मदिवस माना जाता है. यह शक्ति देने वाला व्रत है.
23. मोक्षदा एकादशी (मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष)- गीता जयंती इसी दिन मनाई जाती है. यह मोक्ष प्रदान करती है.
24. सफला एकादशी (पौष कृष्ण पक्ष)- सफलता और समृद्धि देने वाला व्रत
व्रत के नियम और विशेष बातें:
एकादशी के दिन अनाज, चावल आदि नहीं खाए जाते. व्रत रखने वाले को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु के नाम का जाप, भजन और कथा सुनना शुभ माना जाता है. यह व्रत न केवल शरीर को पवित्र करता है, बल्कि आत्मा को भी शुद्ध और शांत बनाता है.


