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पितृ पक्ष के दौरान तिथि ज्ञात ना हो तो कैसे करें श्राद्ध?

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. यह वह समय होता है जब हम अपने पितरों यानी दिवंगत पूर्वजों को श्रद्धा और सम्मान के साथ स्मरण करते हैं.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

Pitru Paksha 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. यह वह समय होता है जब हम अपने पितरों यानी दिवंगत पूर्वजों को श्रद्धा और सम्मान के साथ स्मरण करते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस काल में पितृ लोक से आत्माएं धरती पर आती हैं और अपने वंशजों से तर्पण, पिंडदान और श्रद्धा की अपेक्षा रखती हैं.

आश्विन अमावस्या तक चलता है पितृ पक्ष

पितृ पक्ष हर वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलता है, जो कुल 15 दिन का होता है. इन दिनों को श्राद्ध पक्ष या महालय पक्ष के नाम से भी जाना जाता है. वर्ष 2025 में पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर (रविवार) को हो रही है, जो अत्यंत शुभ तिथि मानी जा रही है. इस दौरान लोग अपने पितरों की मृत्यु तिथि के अनुसार उनका श्राद्ध और तर्पण करते हैं.

हालांकि, कई बार ऐसी स्थिति भी आती है जब व्यक्ति को अपने पितरों की मृत्यु की सही तिथि याद नहीं रहती. ऐसी परिस्थितियों में श्राद्ध कब और कैसे करें, यह सबसे बड़ा प्रश्न बन जाता है. ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या उन सभी पूर्वजों के लिए श्राद्ध और तर्पण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बनकर आती है जिनकी तिथि ज्ञात नहीं होती.

सर्वपितृ अमावस्या न केवल पितृ पक्ष की अंतिम तिथि होती है, बल्कि यह उन सभी पितरों के लिए समर्पित मानी जाती है जिनके बारे में पूर्ण जानकारी न हो. यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो किसी कारणवश किसी विशेष तिथि पर श्राद्ध नहीं कर पाते हैं. अमावस्या की तिथि स्वयं में पितृ तर्पण के लिए शुभ मानी गई है और इस दिन श्राद्ध करने से पितृ दोष का शमन भी होता है.

श्राद्ध और पिंडदान एक प्रकार का धार्मिक कर्तव्य

श्राद्ध और पिंडदान एक प्रकार का धार्मिक कर्तव्य माना जाता है, जिसे श्रद्धा और विधिपूर्वक करने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि घर-परिवार पर उनकी कृपा भी बनी रहती है. ऐसा विश्वास है कि इससे जीवन में सुख, समृद्धि और संतुलन आता है.

दान-पुण्य का विशेष महत्व

इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है. गाय को चारा देना, ब्राह्मण भोजन कराना, जरूरतमंदों को अन्न-वस्त्र दान देना आदि कार्य अत्यंत पुण्यदायक माने जाते हैं. पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए यह अवसर वर्ष भर में एक बार आता है और इसे पूरे श्रद्धा भाव से मनाना चाहिए.

इस प्रकार, पितृ पक्ष केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और पीढ़ियों को जोड़ने वाला एक आध्यात्मिक सेतु है.

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30 August 2025, 07:46 PM IST

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