पीरियड्स के दौरान मंदिर जाना सही या गलत? सुने जया किशोरी की जुबानी
पीरियड्स महिलाओं में होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे महिलाओं के जीवन का एक अहम पार्ट बताया जाता है. हर एक महिला इसके बिना अधूरी मानी जाती है, मगर इस दौरान उन्हें कई तरह की दिक्कतों से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसे में महिलाओं को खुद की सेहत को सही रखने के लिए खानपान पर ध्यान देने की जरूरत है. पीरियड्स के समय कुछ ऐसे नियम भी बना दिए गए हैं जिससे महिलाएं परेशान हो जाती है और वह सोचती हैं ऐसा आखिर क्यों?

महिलाओं को हर महीने माहवारी के कठिन दिनों से गुजरना पड़ता है. इस दरमियान समाज में कई तरह के नियम बताए गए हैं, जैसे पीरियड्स के दौरान मंदिर जाने पर पाबंदी. कहा जाता है कि इन दिनों महिलाएं अशुद्ध होती हैं. इन समस्याओं के पीछे का सच जानने के लिए आपको जया किशोरी के कहे वचनों को ध्यान से पढ़ना चाहिए.
जया किशोरी ने बताया नियमों को गलत
कथावाचक जया किशोरी ने कहा कि इन सारी बातों को पुराने जमाने में अलग तरीके से बताया जाता था. मगर इन दिनों इसको कुछ अलग बता दिया गया है. उनका कहना है कि ऐसा नहीं है कि महिलाएं अशुद्ध हैं,महिलाओं को पीरियड्स के समय बोला जाता है कि अचार मत खाओ, ये बोलना गलत है, क्योंकि इसके पीछे की वजह ये है कि खटाई खाना इस दरमियान सही साबित नहीं होता है.
आगे उनका कहना है कि रही बात लड़कियों के घर से बाहर जाने की तो पहले सुविधाएं नहीं होती थी अब हर तरह की सुविधाएं आने-जाने के लिए उपलब्ध है. महिलाओं को घर से बाहर जाने और मंदिर जाने के पीछे अछूत होने का कोई संबंध नहीं है. मगर आजकल के लोग इसको अछूत की तरह देखते हैं.
देवी द्रौपदी ने क्यों नहीं अपनाया ये नियम
जया किशोरी का कहना है कि पीरियड्स के दरमियान महिलाएं अंदर से बहुत कमजोर महसूस करती हैं. महिलाओं को कोई भी बीमारी होने का खतरा इस दौरान अधिक रहता है. इसलिए उन्हें आराम करने की हमेशा सलाह दी जाती है. जया कहती हैं कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने रजस्वला अवस्था में देवी द्रौपदी को छुआ था, तो हमें तो ये चीज सोचनी ही नहीं चाहिए. हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है, क्योंकि पीरियड्स के दरमियान नियमों का संबंध महिलाओं की सेहत से है, न कि आप इसे अछूत माने.