कामदा एकादशी 2025: जानिए कब और कैसे करें व्रत का पारण, मिलेगा खास योग का लाभ!
कामदा एकादशी का व्रत इस साल 8 अप्रैल को रखा जाएगा और इसका पारण 9 अप्रैल को होगा. इस दिन खास योग बन रहे हैं, जिनमें पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. जानिए, व्रत का पारण सही समय पर कैसे करें और किस तरह से भगवान विष्णु की पूजा से जीवन में सुख और समृद्धि पा सकते हैं. पूरी जानकारी के लिए खबर पढ़ें!

Kamada Ekadashi Parana: कामदा एकादशी, जो हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होती है, एक महत्वपूर्ण व्रत है जिसे हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है. यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है, जो अपने जीवन में सुख, समृद्धि और मनोकामनाओं की पूर्ति की इच्छा रखते हैं. इस साल कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल को रखा जाएगा और इसका पारण 9 अप्रैल को किया जाएगा. तो आइए जानते हैं इस व्रत का पारण कब और कैसे करना चाहिए, ताकि आप इसका पूरा लाभ उठा सकें.
कामदा एकादशी का खास महत्व और योग
कामदा एकादशी के व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस बार एक खास संयोग बन रहा है. इस साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रवि का संयोग बन रहा है. इस दिन एकादशी योग सुबह 06:03 से लेकर 07:55 तक रहेगा, और इस दौरान लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से खास लाभ मिलता है. इसी समय में व्रति को पूजा करनी चाहिए, ताकि इस योग का पूरा लाभ मिल सके.
इसके अलावा, इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो कि खास माना जाता है. यह योग सुबह 06:03 बजे से लेकर 07:55 बजे तक रहेगा, और इस समय में किए गए कार्यों में सफलता मिलने की पूरी संभावना होती है. इस समय में यदि पूजा-अर्चना और व्रत का पारण किया जाए तो व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं.
कब और कैसे खोलें कामदा एकादशी का व्रत
कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल को रखा जाएगा, और इस दिन एकादशी तिथि 9 बजकर 12 मिनट तक रहेगी. इसके बाद 9 अप्रैल को पारण करना होगा. पारण का समय सुबह 6 बजे से लेकर 8:34 बजे तक रहेगा, यानी इस समय के बीच पारण करना जरूरी है. एकादशी का व्रत रखने के बाद अगले दिन द्वादशी पर व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन सबसे पहले भगवान विष्णु की मूर्ति का पंचामृत से अभिषेक करें. इसके बाद व्रत का पारण करें. इस दिन व्रत खोलने के लिए चावल का सेवन करना होता है, क्योंकि एकादशी में चावल का सेवन नहीं किया जाता. व्रत खोने के बाद, आपको मंदिर में या किसी गरीब को भोजन देना चाहिए. इस दिन तामसिक भोजन से बचना चाहिए और सात्विक भोजन करना चाहिए.


