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दीपावली पर आज इतने बजे से शुरू होगा लक्ष्मी-गणेश पूजन मुहूर्त

Diwali 2025: 20 अक्टूबर को दिवाली का पर्व शुभ योगों के बीच मनाया जाएगा, जिसमें लक्ष्मी-गणेश पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त शाम 7:08 से रात 8:18 तक रहेगा. इस दिन हंस योग, वैभव लक्ष्मी योग और बुधादित्य योग जैसे कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जो पर्व को और अधिक मंगलकारी बनाते हैं.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

Diwali 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष दिवाली का पर्व 20 अक्टूबर को पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा. कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाने वाली यह पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटे थे और उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं. तभी से दीपावली का पर्व दीपों के उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद देती हैं. इस अवसर पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है.

दिवाली की तिथि और पूजन का समय

इस वर्ष अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को दोपहर 3:44 बजे से होगी, जो 21 अक्टूबर को शाम 5:55 बजे तक रहेगी. पूजा के लिए दो प्रमुख मुहूर्त उपलब्ध हैं:

प्रदोष काल: शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक
स्थिर लग्न (वृषभ काल): शाम 7:08 बजे से रात 9:03 बजे तक

लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उपयुक्त समय शाम 7:08 से रात 8:18 बजे तक माना गया है, जिसकी कुल अवधि लगभग 1 घंटा 10 मिनट है. इसके अलावा, महानिशीथ काल रात 11:41 बजे से 12:31 बजे तक रहेगा.

दिवाली पर शुभ योगों का संयोग

इस बार दिवाली पर कई शुभ योग बन रहे हैं. देवगुरु बृहस्पति कर्क राशि में रहकर हंस योग बना रहे हैं, वहीं शनि मीन राशि में वक्री अवस्था में हैं. शुक्र और चंद्रमा के प्रभाव से वैभव लक्ष्मी योग और सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग बन रहा है. ये सभी योग इस दिन को और भी शुभ बना रहे हैं.

लक्ष्मी-गणेश पूजन की विधि

सबसे पहले पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर स्वास्तिक बनाएं. गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करें. कलश, दीपक, धूप और नैवेद्य की व्यवस्था करें. पूजा के दौरान पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखें. गंगाजल छिड़कें, तिलक करें, फिर लक्ष्मी-गणेश को पंचामृत स्नान कराएं और भोग अर्पित करें. अंत में आरती करें और परिवार सहित पूजा में सहभागी बनें.

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20 October 2025, 06:57 AM IST

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