माघ मेला 2026: प्रयागराज में कल्पवास कब से शुरू होगा? नोट करें सभी प्रमुख संगम स्नान तिथियां और महत्वपूर्ण नियम
कल्पवास हिंदू धर्म की एक बहुत प्राचीन और अत्यंत पवित्र साधना है, जो सदियों से चली आ रही है. खास तौर पर माघ महीने में प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के पावन तट पर लाखों श्रद्धालु इसे करते हैं.

नई दिल्ली: हिंदू पंचांग में माघ मास को अत्यंत पुण्यदायी और आध्यात्मिक साधना का श्रेष्ठ समय माना गया है. शास्त्रों और पुराणों के अनुसार इस महीने में किए गए जप, तप, स्नान और दान का फल अक्षय होता है, अर्थात इसका पुण्य कभी समाप्त नहीं होता. इसी कारण माघ मास में देशभर से श्रद्धालु प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तट पर पहुंचकर धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास में की जाने वाली कल्पवास की परंपरा का विशेष महत्व है. दृक पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 में माघ मास की शुरुआत 4 जनवरी से होगी, जबकि कल्पवास पौष पूर्णिमा से प्रारंभ होकर माघ पूर्णिमा तक चलेगा.
कल्पवास क्या है?
‘कल्प’ शब्द का अर्थ निश्चित समयावधि और ‘वास’ का मतलब निवास करना होता है. आध्यात्मिक रूप से कल्पवास वह साधना है, जिसमें व्यक्ति सांसारिक सुखों, भोग-विलास और मोह-माया से दूरी बनाकर ईश्वर भक्ति में लीन रहता है. शास्त्रों में इसे गृहस्थ जीवन से वैराग्य की ओर बढ़ने का अभ्यास बताया गया है. परंपरागत रूप से कल्पवास पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक किया जाता है, हालांकि श्रद्धालु अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार 5, 11 या 21 दिनों का संकल्प भी ले सकते हैं.
कल्पवास के नियम और विधि
कल्पवास केवल गंगा तट पर निवास करना नहीं, बल्कि कठोर आध्यात्मिक अनुशासन का पालन करना होता है. कल्पवासी नदी किनारे फूस की कुटिया में रहते हैं और दिन में केवल एक बार सात्विक, स्वयं निर्मित भोजन ग्रहण करते हैं. प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त सहित तीन बार गंगा स्नान कर विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है.
जीवनशैली और आचार
कल्पवासी भूमि पर शयन करते हैं और मन, वचन व कर्म से ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं. नशा, क्रोध, झूठ और कटु वाणी का पूर्ण त्याग किया जाता है. कुटिया में तुलसी का पौधा लगाकर नियमित पूजन होता है. पूरा समय भजन-कीर्तन, संतों के सत्संग और धार्मिक ग्रंथों के पाठ में व्यतीत किया जाता है. कल्पवास की पूर्णता पर सत्यनारायण भगवान की कथा, ब्राह्मण भोज और दान करना शुभ माना गया है.
माघ स्नान की प्रमुख तिथियां
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पहला स्नान: पौष पूर्णिमा – 3 जनवरी 2026
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दूसरा स्नान: मकर संक्रांति – 15 जनवरी 2026
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तीसरा स्नान: मौनी अमावस्या – 18 जनवरी 2026
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चौथा स्नान: माघ पूर्णिमा – 1 फरवरी 2026
कल्पवास की अवधि
शास्त्रों के अनुसार वर्ष 2026 में कल्पवास की शुरुआत 3 जनवरी से होगी और इसका समापन 1 फरवरी 2026 को माघ पूर्णिमा के दिन होगा. इसी दिन माघ मास का कल्पवास पूर्ण माना जाता है.
Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


