शिवभक्ति का महीना सावन आज से शुरू, जानें हर दिन के विशेष पूजन मंत्र
आज से शुरू हो गया है हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा महीना सावन. यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसे शिवभक्ति का सर्वोत्तम समय माना जाता है. सावन का हर दिन भक्तों के लिए साधना, तप और आराधना का प्रतीक होता है, वहीं सोमवार का दिन विशेष रूप से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है.

हिंदू धर्म में श्रद्धा और आस्था से भरा सावन मास आज से शुरू हो गया है. यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसे शिवभक्ति का सबसे श्रेष्ठ समय माना जाता है. सावन का प्रत्येक दिन शिव आराधना के लिए विशेष होता है, लेकिन सोमवार का दिन सबसे अधिक फलदायक माना गया है. इस पावन मास में भक्त उपवास रखते हैं, शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं और ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप कर शिव कृपा प्राप्त करते हैं.
श्रावण मास, जिसे आमतौर पर सावन के नाम से जाना जाता है, हिंदू पंचांग का पांचवां महीना होता है और यह जुलाई-अगस्त के दौरान आता है. यह वह समय होता है जब मानसून अपनी पूरी गति पर होता है और प्रकृति हरी-भरी हो जाती है. इसी हरियाली और शीतल वातावरण में शिवभक्ति की दिव्यता और गहराई और भी बढ़ जाती है.
क्यों इतना पावन माना जाता है सावन?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष निकला था, तब भगवान शिव ने संसार की रक्षा हेतु उसे अपने कंठ में धारण किया था. विष के प्रभाव को शांत करने के लिए देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया, और तभी से सावन मास में शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई. यही कारण है कि इस माह में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और अन्य विशेष पूजन विधियों का विशेष महत्व है.
भगवान शिव को प्रसन्न करने का विशेष दिन
श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को ‘सोमवार व्रत’ रखने की परंपरा है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत रखने, शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र, धतूरा और भस्म चढ़ाने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं. कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत करती हैं.
सावन से जुड़ी पौराणिक कथाएं
पार्वती जी का कठोर तप: मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन मास में कठोर तपस्या की थी. उनके इस तप से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपना वर बनाया. शिव का ससुराल आगमन: कहा जाता है कि सावन में भगवान शिव पृथ्वी पर अपनी ससुराल आते हैं और इसी दौरान वे अपने भक्तों के बीच निवास करते हैं, जिससे पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है.
कैसे मनाया जाता है सावन का पर्व?
सोमवार व्रत: श्रद्धालु सुबह स्नान करके व्रत रखते हैं और शिव मंदिर जाकर विशेष पूजा करते हैं. दिन भर उपवास या फलाहार करते हैं और शाम को शिव चालीसा का पाठ तथा मंत्र जाप करते हैं.
कांवड़ यात्रा: उत्तर भारत में सावन के दौरान विशाल कांवड़ यात्राओं का आयोजन होता है. भक्त पवित्र नदियों से जल लेकर शिवधाम तक पैदल यात्रा करते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.
रुद्राभिषेक और मंत्र जाप: सावन में रुद्राभिषेक करना बेहद पुण्यकारी माना जाता है. इसके अलावा, “ॐ नमः शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का जाप अत्यंत फलदायी होता है.
सावन में शिव पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन में की गई शिव पूजा अन्य किसी भी समय की पूजा से कई गुना अधिक फलदायी होती है. यह मास न केवल आध्यात्मिक उन्नति का अवसर है, बल्कि मानसिक शांति, सुख-शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का भी श्रेष्ठ समय माना जाता है.


