छठ पूजा के दूसरे दिन का महत्व: खरना पर क्यों बनती है गुड़ की खीर और रोटी? जानिए इसका विशेष अर्थ
खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी का विशेष महत्व है, जो छठ पर्व की आत्मा को और भी पवित्र बनाता है. इस दिन व्रती महिलाएं सूरज डूबने के बाद पूरे भक्ति-भाव से देवी-देवताओं और छठी मैया को गुड़ की खीर और रोटी का भोग अर्पित करती हैं. यह स्वादिष्ट प्रसाद न केवल मन को सुकून देता है, बल्कि घर-परिवार में खुशहाली और एकता का प्रतीक भी माना जाता है. भोग के बाद यह प्रसाद सभी परिवारजनों में बांटा जाता है.

नई दिल्ली: आज छठ पूजा का दूसरा दिन है, जो खासतौर पर खरना के रूप में मनाया जाता है. छठ पूजा का महापर्व एक गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व से जुड़ा हुआ है, और इसका दूसरा दिन खासतौर पर महत्वपूर्ण माना जाता है. खरना का दिन खास तौर से शुद्धता, पवित्रता और व्रत की दृढ़ता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पर व्रती महिलाएं पूरे दिन उपवास रखने के बाद शाम को विशेष प्रकार का प्रसाद तैयार करती हैं और उसे देवी-देवताओं को अर्पित करने के बाद व्रत का पारण करती हैं.
खरना का दिन छठ महापर्व के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक है, क्योंकि यह दिन शरीर और आत्मा की शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. व्रत के इस दिन विशेष रूप से गुड़ की खीर और रोटी का महत्व होता है, जिसे विशेष श्रद्धा भाव से तैयार किया जाता है. आइए, जानते हैं कि खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी क्यों बनाई जाती है और इसके पीछे क्या धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं.
क्यों बनाई जाती है गुड़ की खीर और रोटी?
खरना के दिन व्रती महिलाएं विशेष रूप से गुड़ की खीर और रोटी का भोग तैयार करती हैं. यह खीर बहुत पवित्र मानी जाती है और इसे छठी मैया के प्रिय प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, खीर को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले दूध और गुड़ के मिश्रण को चंद्रमा और सूर्य के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. दूध और चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है, जबकि गुड़ को सूर्य का प्रतीक कहा जाता है.
गुड़ की खीर में शामिल पोषक तत्व व्रतियों के शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे वे 36 घंटे के निर्जला उपवास को सहन करने में सक्षम होती हैं. इसी कारण खरना के दिन गुड़ की खीर और रोटी का विशेष महत्व है. इन दोनों वस्तुओं का सेवन करने से व्रती महिलाओं को शारीरिक रूप से मजबूत और मानसिक रूप से दृढ़ बनाने में मदद मिलती है, जो पूरी छठ पूजा के दौरान आवश्यक होता है.
खरना के दिन का महत्व
खरना का दिन केवल शारीरिक शुद्धता का ही प्रतीक नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धता का भी प्रतीक माना जाता है. इस दिन व्रती महिलाएं न केवल अपने शरीर को शुद्ध करती हैं, बल्कि अपने विचारों, कर्मों और मन को भी शुद्ध करने का प्रयास करती हैं. साथ ही, यह दिन समाज में सौहार्द्र और भाईचारे का संदेश भी देता है, क्योंकि इस दिन लोग एक-दूसरे से प्रसाद साझा करते हैं और सामूहिक रूप से पूजा अर्चना करते हैं.
खरना के दिन का मुख्य उद्देश्य आत्मा और शरीर की शुद्धता के साथ-साथ व्रत की कठोरता को बढ़ाना भी है, ताकि व्रतियों को अगले दिन सूर्योदय के समय सूर्य देवता को अर्घ्य देने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह से तैयार किया जा सके.
Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


