जगन्नाथ पुरी की तीसरी सीढ़ी का रहस्य, क्यों मना है इस पर पैर रखना?
जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़ी कई ऐसी रहस्यमयी बातें हैं, जो आज भी लोगों को हैरत में डाल देती हैं. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस पवित्र स्थल को धरती पर स्थित बैकुंठ के रूप में माना जाता है, जहां स्वयं भगवान विष्णु वास करते हैं.

ओडिशा स्थित जगन्नाथ पुरी मंदिर को हिन्दू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है. धार्मिक ग्रंथों में इसे धरती का बैकुंठ कहा गया है. ऐसा माना जाता है कि स्वयं भगवान विष्णु आज भी यहां वास करते हैं. मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को "जगन्नाथ" के रूप में पूजा जाता है. उनके साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी विराजमान हैं. इस मंदिर में श्रद्धापूर्वक दर्शन करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी दुख दूर हो जाते हैं.
जगन्नाथ पुरी मंदिर की तीसरी सीढ़ी से जुड़ी मान्यता
जगन्नाथ पुरी मंदिर केवल अपनी भव्यता और आध्यात्मिकता के लिए ही नहीं, बल्कि रहस्यमयी मान्यताओं के लिए भी प्रसिद्ध है. ऐसे कई रहस्य हैं जिन्हें आज तक विज्ञान भी नहीं समझा पाया है. इन्हीं में से एक है मंदिर की तीसरी सीढ़ी से जुड़ी मान्यता, जिसे लेकर भक्तों के बीच गहरी आस्था है.
मंदिर में प्रवेश के लिए कुल 22 सीढ़ियां हैं, लेकिन खास निर्देश है कि तीसरी सीढ़ी पर पैर नहीं रखना चाहिए. कहा जाता है कि इस सीढ़ी से जुड़े एक प्राचीन पौराणिक प्रसंग में यमराज स्वयं भगवान जगन्नाथ के पास आए थे. उन्होंने कहा कि मंदिर में दर्शन मात्र से भक्तों के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उन्हें यमलोक नहीं जाना पड़ता.
यमराज को मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर स्थान
इस पर भगवान जगन्नाथ ने यमराज को मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर स्थान दिया और कहा कि जो व्यक्ति दर्शन के बाद इस सीढ़ी पर पांव रखेगा, उसके पुण्य समाप्त हो जाएंगे और उसे यमलोक जाना होगा. इसी मान्यता के कारण आज भी भक्त इस सीढ़ी पर पैर रखने से बचते हैं और सावधानीपूर्वक इसे पार करते हैं.


