'चूहों वाला मंदिर!' – जानिए करणी माता मंदिर की अनोखी दुनिया, जहां चूहे हैं आस्था का प्रतीक
राजस्थान के बीकानेर में एक ऐसा मंदिर है जहां इंसानों नहीं बल्कि चूहों की पूजा होती है और अब तो प्रधानमंत्री मोदी भी वहां मत्था टेकने पहुंचे हैं. आखिर क्या है इस मंदिर की अनोखी मान्यता और क्यों खास माना जाता है सफेद चूहा? जानिए इस रहस्यमयी मंदिर की पूरी कहानी...

Karni Mata Temple: PM मोदी ने हाल ही में राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित करणी माता मंदिर का दौरा किया. यह एक ऐसा अद्भुत और रहस्यमयी मंदिर है जो दुनियाभर में 'चूहों के मंदिर' के नाम से मशहूर है. यहां करीब 25,000 से ज्यादा चूहे रहते हैं और भक्त उन्हें 'काबा' कहकर सम्मान देते हैं. आमतौर पर जिन चूहों को लोग घरों से भगाते हैं, यहां उनकी बाकायदा पूजा की जाती है, उन्हें दूध और प्रसाद चढ़ाया जाता है और अगर कोई भक्त इनका झूठा प्रसाद खा ले तो उसे आशीर्वाद माना जाता है.
मंदिर की अनोखी मान्यता
इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि अगर आपको यहां सफेद चूहा दिख जाए, तो उसे मां करणी का विशेष आशीर्वाद माना जाता है. सफेद चूहों की संख्या बहुत कम है लेकिन मान्यता है कि वे करणी माता के परिवार के सदस्य हैं, जो चूहे के रूप में पुनर्जन्म लेकर मंदिर में रहते हैं.
करणी माता कौन थीं?
करणी माता को हिंदू देवी जगदम्बा का अवतार माना जाता है. उनका जन्म 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था. उनका बचपन का नाम रिघुबाई था और बाद में वे आध्यात्मिक जीवन की ओर अग्रसर हुईं. उनकी सेवा और साधना से प्रभावित होकर लोग उन्हें ‘करणी माता’ कहने लगे. कहा जाता है कि वे 151 साल तक जीवित रहीं और फिर इस स्थान पर उनकी मूर्ति स्थापित की गई, जो आज करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है.
मंदिर की रोज़ की दिनचर्या भी अनोखी
मंदिर में चूहे सिर्फ घूमते नहीं, बल्कि सुबह 5 बजे और शाम 7 बजे आरती के समय वे अपने बिलों से बाहर आकर मानो आरती में भाग लेते हैं. ये दृश्य देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. चूहों को दूध, मिठाई और अनाज चढ़ाया जाता है, और लोग बड़े प्रेम से उनके बीच बैठकर भोजन करते हैं.
ऐसा क्यों होता है चूहों में पुनर्जन्म?
एक मान्यता के अनुसार, जब करणी माता की बहन का बेटा सरोवर में डूब गया, तो उन्होंने यमराज से उसे वापस लाने की प्रार्थना की. यमराज ने उसे तो वापस भेज दिया, लेकिन चूहे के रूप में. तभी से माना जाता है कि जब भी करणी माता का कोई वंशज मरता है तो वह चूहे के रूप में इस मंदिर में वापस आता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रस्तावित दौरा
करणी माता मंदिर की महत्ता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 22 मई को यहां दर्शन के लिए पहुंचेंगे. यह मंदिर न सिर्फ आम लोगों बल्कि राजघरानों और राष्ट्र नेताओं के लिए भी आस्था का बड़ा केंद्र है.
करणी माता मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा की उस गहराई को दिखाता है जहां हर जीव — चाहे वह इंसान हो या चूहा — सम्मान और श्रद्धा का पात्र हो सकता है. यह मंदिर आस्था, करुणा और पुनर्जन्म की मान्यताओं का अद्भुत संगम है, जिसे एक बार ज़रूर देखना चाहिए.