कब और केसे होली पर रंग खेलने की शुरुआत हुई थी?
होली भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है. यह त्योहार हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जब चारों ओर रंगों की बारिश होती है.

होली भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है. यह त्योहार हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जब चारों ओर रंगों की बारिश होती है. लोग एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं.
होलिका दहन से होती है होली की शुरुआत
होली का उत्सव होलिका दहन से शुरू होता है, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है. इस दिन लोग बुराई के प्रतीक होलिका का दहन करते हैं. इसके बाद अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रंगों से होली खेलने की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई?
इस साल होली कब है?
इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर होगी और समापन 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा. ऐसे में 14 मार्च को पूरे देश में होली का त्योहार मनाया जाएगा और रंगों से होली खेली जाएगी.
रंग वाली होली की शुरुआत
पौराणिक कथाओं के अनुसार, होली का त्योहार भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के बीच प्रेम की अभिव्यक्ति के रूप में रंग वाली होली की शुरुआत हुई थी. भगवान श्री कृष्ण ने एक बार अपने दोस्तों के साथ मिलकर ब्रज में राधा रानी और उनकी सहेलियों को रंग लगाया.
भगवान श्री कृष्ण सांवले थे, जबकि राधा रानी गोरी थीं. श्री कृष्ण को यह डर था कि राधा उन्हें पसंद नहीं करेंगी क्योंकि उनका रंग काला था. इस पर माता यशोदा ने श्री कृष्ण से कहा कि यदि वह राधा को रंग लगा देंगे, तो राधा का रंग भी उनके जैसा हो जाएगा. माता यशोदा की सलाह पर श्री कृष्ण ने अपने दोस्तों के साथ राधा रानी और उनकी सहेलियों को रंग लगाया.
ब्रजवासियों को श्री कृष्ण की यह शरारत बहुत पसंद आई, और तब से रंगों से होली खेलने की परंपरा शुरू हो गई. यही कारण है कि होली का त्योहार भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के प्रेम का प्रतीक माना जाता है.


