एकादशी पर क्यों नहीं खाने चाहिए चावल, जानें इसकी धार्मिक और वैज्ञानिक वजह?
Ekadashi: हिंदू धर्म में जया एकादशी के दिन व्रत, पूजा और दान-पुण्य का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित होता है, क्योंकि इसे अशुभ माना गया है. वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस दिन चावल न खाने के पीछे ठोस कारण बताए गए हैं. आइए जानते हैं कि एकादशी पर चावल क्यों नहीं खाना चाहिए?

Ekadashi: आज 8 फरवरी को जया एकादशी है. हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु की आराधना और मोक्ष प्राप्ति के लिए उत्तम माना गया है. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, दान-पुण्य करते हैं और जरूरतमंदों की सहायता कर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और साधक को पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
हालांकि, एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही होती है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन चावल का सेवन करने वाले व्यक्ति को अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेने का भय रहता है. साथ ही, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस दिन चावल न खाने के पीछे ठोस कारण हैं. आइए जानते हैं कि इस दिन चावल क्यों नहीं खाना चाहिए.
एकादशी पर क्यों वर्जित है चावल?
हिंदू धर्मग्रंथों में एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. विष्णु पुराण के अनुसार, एकादशी के दिन चावल का सेवन करना पुण्य फल को कम कर सकता है. चावल को हविष्य अन्न यानी देवताओं का भोजन माना जाता है, इसलिए इसे एकादशी तिथि पर नहीं खाया जाता. मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति चावल का सेवन करता है, वह नरकगामी होता है और अगले जन्म में रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है.
जानें वैज्ञानिक वजह
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो चावल में पानी की मात्रा अधिक होती है. चंद्रमा का प्रभाव पानी पर ज्यादा पड़ता है, इसलिए एकादशी के दिन चावल खाने से मन चंचल हो सकता है. इससे ध्यान पूजा-पाठ में नहीं लगता और व्रत का संकल्प भी कमजोर हो सकता है. यही कारण है कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी इस दिन चावल खाने की सलाह नहीं दी जाती.
एकादशी के दिन क्या खाएं?
जो लोग एकादशी का व्रत रखते हैं, वे इस दिन फलाहार कर सकते हैं. साबुदाना, सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा, मूंगफली, दूध और सूखे मेवे जैसे सात्विक आहार लेना शुभ माना जाता है. इससे शरीर ऊर्जा से भरा रहता है और व्रत का संकल्प भी मजबूत होता है.
Disclaimer: ये आर्टिकल धार्मिक मान्यताओं और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


