ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी मैक्सवेल का IPL करियर खत्म! नीलामी से नाम लिया वापस
ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल ने आईपीएल 2026 की मिनी-नीलामी से हटने की पुष्टि की, संकेत दिया कि यह उनका आखिरी आईपीएल सीजन था. उनके जाने से विदेशी ऑलराउंडरों की कमी बढ़ेगी और टीमों को मजबूत विकल्प की तलाश करनी होगी.

स्पोर्ट्सः ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल ने मंगलवार को पुष्टि की कि वह आईपीएल 2026 की मिनी-नीलामी में हिस्सा नहीं लेंगे. इस निर्णय के साथ ही यह संकेत भी मिला कि मैक्सवेल ने आईपीएल का अपना आखिरी मुकाबला खेल लिया है. इससे पहले आंद्रे रसेल और फाफ डु प्लेसिस ने भी 16 दिसंबर को अबू धाबी में होने वाली मिनी-नीलामी से खुद को अलग किया था.
मैक्सवेल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह फैसला सोच-समझकर लिया गया है. उन्होंने कहा कि आईपीएल में कई अविस्मरणीय सीजन के बाद, मैंने इस साल नीलामी में अपना नाम न डालने का निर्णय लिया है. यह मेरे लिए बड़ा फैसला है, और इस लीग ने मुझे जो कुछ भी दिया, उसके लिए मैं आभारी हूं.
आईपीएल करियर
मैक्सवेल ने पिछले साल पंजाब किंग्स की ओर से खेला था, जहां श्रेयस अय्यर की कप्तानी और रिकी पोंटिंग की कोचिंग में उन्होंने अपनी टीम का हिस्सा बने. हालांकि, उंगली में चोट लगने के कारण वह पूरे सीजन से बाहर रहे. पंजाब किंग्स ने उन्हें मेगा नीलामी में 4.2 करोड़ रुपये में खरीदा था. इससे पहले चेन्नई सुपर किंग्स और सनराइजर्स हैदराबाद भी मैक्सवेल को अपनी टीम में शामिल करने की योजना बना चुके थे, लेकिन अंततः किंग्स ने उन्हें अपने दस्ते में जगह दी.
पिछले सीजन में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाने के बावजूद, मैक्सवेल ने अपने आईपीएल करियर को हमेशा यादगार माना. उन्होंने छह पारियों में केवल 48 रन बनाए और गेंदबाज़ी में भी सीमित अवसर पाए.
विदाई के भावनात्मक शब्द
मैक्सवेल ने अपने ट्विटर संदेश में कहा कि आईपीएल ने मुझे एक क्रिकेटर और एक व्यक्ति के रूप में आकार देने में मदद की है. विश्व स्तरीय टीम के साथियों के साथ खेलना, अविश्वसनीय फ्रेंचाइजी का प्रतिनिधित्व करना और प्रशंसकों के सामने प्रदर्शन करना मेरे लिए सौभाग्य की बात रही है. उन्होंने आगे लिखा कि भारत की यादें, चुनौतियां और ऊर्जा हमेशा मेरे साथ रहेंगी. वर्षों से मिले सहयोग के लिए धन्यवाद. आशा है कि जल्द ही आपसे फिर मुलाकात होगी.
विदेशी ऑलराउंडरों के लिए अंतर
मैक्सवेल के आईपीएल से बाहर होने से विदेशी ऑलराउंडरों की कमी महसूस होगी. उनके जाने के बाद टीमों को ऐसे खिलाड़ी की तलाश होगी जो तेज गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी दोनों में योगदान दे सके. रसेल और डु प्लेसिस के हटने के बाद यह खलता और स्पष्ट हो गया है कि इस साल मिनी-नीलामी में उच्च-गुणवत्ता वाले विदेशी ऑलराउंडर की मांग बढ़ सकती है.


