दिव्या देशमुख ने बढ़ाया देश का मान, बनी FIDE महिला वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय
दिव्या देशमुख ने इतिहास रचते हुए FIDE महिला वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बना ली है. वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं. इसके साथ ही उन्होंने 2026 में होने वाले महिला कैंडिडेट्स चैस मेंट के लिए भी क्वालिफाई कर लिया है.

Divya Deshmukh: 19 वर्षीय इंटरनेशनल मास्टर दिव्या देशमुख ने FIDE महिला वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचकर नया कीर्तिमान रच दिया है. वह इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गईं हैं. इस उपलब्धि के साथ ही उन्होंने 2026 में होने वाले महिला कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट में भी अपनी जगह पक्की कर ली है.
FIDE वर्ल्ड कप में शीर्ष तीन स्थान पाने वाले खिलाड़ियों को महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई करने का अवसर मिलता है. दिव्या के फाइनल में पहुंचते ही उनका नाम उस सूची में दर्ज हो गया है, जहां से विजेता खिलाड़ी चीन की मौजूदा महिला विश्व चैंपियन जू वेनजुन को चुनौती देगी.
ग्रैंडमास्टर बनने की ओर पहला कदम
दिव्या देशमुख की इस जीत ने उन्हें ग्रैंडमास्टर बनने के और करीब ला दिया है. सेमीफाइनल में मिली जीत से उन्हें पहला ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल हुआ है. ग्रैंडमास्टर बनने के लिए उन्हें कुल तीन नॉर्म की आवश्यकता है और अगर वह वर्ल्ड कप जीतती हैं तो शेष नॉर्म भी मिलने की संभावना है.
सेमीफाइनल में तान झोंगयी को दी मात
सेमीफाइनल में दिव्या ने चीन की पूर्व महिला विश्व चैंपियन तान झोंगयी को हराया. पहला मुकाबला ड्रॉ रहा, लेकिन दूसरे गेम में दिव्या ने सफेद मोहरों से खेलते हुए ज़बरदस्त रणनीति और मानसिक संतुलन का परिचय दिया. उन्होंने मुकाबला 1.5–0.5 से जीतकर फाइनल में जगह बनाई.
दिव्या ने मिडिल गेम के दौरान दबाव बनाते हुए झोंगयी से गलतियां करवाईं और फिर अपनी स्थिति को बेहद सटीकता से कंट्रोल किया. यह जीत उनकी निरंतरता और तकनीकी समझ का बेहतरीन उदाहरण रही.
कम से कम रजत पदक पक्का
इस जीत के साथ ही दिव्या ने कम से कम सिल्वर मेडल सुनिश्चित कर लिया है. अब उनकी नजर वर्ल्ड कप खिताब जीतने और देश के लिए स्वर्ण पदक लाने पर टिकी है.
हंपी के मुकाबले पर सबकी नजरें
दूसरी ओर, भारत की ग्रैंडमास्टर कोनेरु हंपी और चीन की लेई टिंगजी के बीच सेमीफाइनल मुकाबला ड्रॉ रहा. दोनों खिलाड़ी अब 1.5–1.5 की बराबरी पर हैं और गुरुवार को टाई-ब्रेक के जरिए फाइनलिस्ट का फैसला होगा.
अगर हंपी यह टाई-ब्रेक जीतती हैं तो भारतीय शतरंज इतिहास में पहली बार एक ऑल-इंडियन फाइनल देखने को मिलेगा. हंपी ने इस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय होने का गौरव पहले ही प्राप्त कर लिया है.


