क्रिकेटर्स की सैलरी कैसे तय होती है? जानें ग्रेड, अप्रेजल और प्रमोशन का पूरा फॉर्मूला
क्रिकेट में खिलाड़ी की सैलरी, ग्रेड और प्रमोशन उनके प्रदर्शन, फिटनेस और टीम में व्यवहार जैसे कई मानकों पर आधारित होता है. घरेलू टूर्नामेंट से लेकर अंतरराष्ट्रीय चयन तक, हर स्तर पर एक व्यवस्थित अप्रेजल प्रक्रिया तय करती है उनका करियर ग्रोथ.

क्रिकेट की दुनिया में खिलाड़ी की मेहनत सिर्फ मैदान तक सीमित नहीं रहती, बल्कि उसके प्रदर्शन का सीधा असर उसकी सैलरी, ग्रेड और करियर ग्रोथ पर भी पड़ता है. घरेलू क्रिकेट से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक का सफर सिर्फ रन बनाने या विकेट लेने भर से नहीं तय होता, इसके पीछे एक सुव्यवस्थित चयन प्रणाली और अप्रेजल सिस्टम होता है, जो खिलाड़ी की हर पहलू से जांच करता है.
हर सीजन के अंत में खिलाड़ियों का मूल्यांकन यानी अप्रेजल किया जाता है, जिसमें फिटनेस, अनुशासन, टीम में योगदान और विभिन्न फॉर्मेट्स में परफॉर्मेंस को ध्यान में रखा जाता है. इस मूल्यांकन के आधार पर खिलाड़ियों को प्रमोशन, ग्रेड में बदलाव और सैलरी इन्क्रीमेंट मिलता है.
घरेलू टूर्नामेंट से शुरू होता है प्रमोशन का सफर
क्रिकेट में प्रमोशन का सबसे पहला कदम घरेलू क्रिकेट से शुरू होता है. रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट्स में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को चयनकर्ता अगली लीग यानी ए टीम या राष्ट्रीय टीम के लिए चुनते हैं.
अंडर-19 और अंडर-23:
अंडर-19 और अंडर-23 स्तर के टूर्नामेंट खिलाड़ियों की क्षमता को निखारने का पहला बड़ा मंच होते हैं. ये टूर्नामेंट चयनकर्ताओं को ये समझने में मदद करते हैं कि खिलाड़ी दबाव की स्थिति में कैसा प्रदर्शन करता है. अगर कोई युवा खिलाड़ी लगातार प्रदर्शन करता है, तो उसे भारत ए या सीनीयर टीम के कैंप में बुलाया जाता है.
फॉर्मेट्स के मुताबिक होता है कौशल का मूल्यांकन
चयनकर्ता खिलाड़ियों के खेल को टी-20, वनडे और टेस्ट क्रिकेट के हिसाब से अलग-अलग देखते हैं. तेज स्ट्राइक रेट, लंबी पारियां खेलने की क्षमता, गेंदबाजी में विविधता या विकेटकीपिंग स्किल- हर पहलू पर बारीकी से नजर डाली जाती है. इसके अनुसार ही खिलाड़ी को फॉर्मेट में प्रमोट किया जाता है.
आज के दौर में सिर्फ तकनीकी दक्षता ही काफी नहीं है. खिलाड़ी की शारीरिक फिटनेस, मानसिक मजबूती और मैदान के अंदर-बाहर उसका रवैया अप्रेजल में अहम भूमिका निभाते हैं. टीम के साथ समन्वय, ड्रेसिंग रूम का माहौल बनाए रखने की क्षमता और सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी भरा व्यवहार भी अप्रत्यक्ष रूप से उसकी ग्रोथ को प्रभावित करता है.
टीम में अनुशासन और तालमेल से बनती है बड़ी राह
प्रमोशन केवल व्यक्तिगत आंकड़ों पर नहीं, बल्कि खिलाड़ी के समग्र रवैये पर भी आधारित होता है. चयनकर्ता इस बात को भी ध्यान में रखते हैं कि खिलाड़ी टीम कल्चर में कितना फिट बैठता है, क्या वह सीनियर्स और जूनियर्स दोनों के साथ सामंजस्य रखता है या नहीं. अनुशासन, समय की पाबंदी और टीम के प्रति प्रतिबद्धता जैसे गुण भी अप्रेजल को सकारात्मक दिशा में ले जाते हैं.


