यशस्वी जायसवाल नॉट आउट? हॉट स्पॉट के आविष्कारक ने किया बड़ा खुलासा
मेलबर्न टेस्ट में यशस्वी जायसवाल के विवादास्पद आउट को लेकर क्रिकेट में बवाल मच गया। जब डीआरएस से नतीजा उलट गया, तो हॉट स्पॉट तकनीक के आविष्कारक ने दावा किया कि स्निको ने कोई शोर नहीं पकड़ा, और यह मामला हॉट स्पॉट से ही सुलझ सकता था। वहीं, सुनील गावस्कर ने अंपायर के फैसले को ऑप्टिकल भ्रम बताया। क्या तकनीक का सही इस्तेमाल हो रहा है? जानिए पूरी कहानी!

Jaiswal Dismissal: मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच के दौरान यशस्वी जायसवाल का विवादास्पद आउट क्रिकेट जगत में एक बड़ा मुद्दा बन गया है। जब जायसवाल 84 रन बनाकर बल्लेबाजी कर रहे थे, तब उन्हें एक बाउंसर पर कैच आउट करार दिया गया। हालांकि, पहले अंपायर ने उन्हें नॉट आउट दिया, लेकिन ऑस्ट्रेलिया द्वारा डीआरएस की अपील करने के बाद तीसरे अंपायर ने निर्णय बदल दिया। इस फैसले के बाद पूरे क्रिकेट वर्ल्ड में बहस छिड़ गई कि क्या जायसवाल सच में आउट थे या नहीं। इस विवाद के बीच, हॉट स्पॉट तकनीक के आविष्कारक ने एक बड़ा खुलासा किया है, जो इस फैसले पर नए सवाल उठाता है।
हॉट स्पॉट के आविष्कारक का दावा: "स्निको ने कोई शोर नहीं पकड़ा"
कोड स्पोर्ट्स के साथ बातचीत करते हुए, हॉट स्पॉट तकनीक के संस्थापक वॉरेन ब्रेनन ने इस मामले पर अपनी राय दी। ब्रेनन ने बताया कि इस घटना में स्निक-ओ-मीटर (जो बल्ले और गेंद के बीच के संपर्क को दिखाता है) ने कोई शोर नहीं पकड़ा। उन्होंने कहा, "यह उन झलकियों में से एक था, जहाँ स्निको केवल परिवेशीय शोर को ही दिखाता है, और कुछ नहीं। मैंने ऑडियो डायरेक्टर से पूछा, और उन्होंने पुष्टि की कि कोई शोर नहीं था।" उनका मानना था कि हॉट स्पॉट तकनीक इस विवाद को हल कर सकती थी।
ब्रेनन का कहना है कि अगर हॉट स्पॉट का इस्तेमाल किया गया होता, तो यह साबित हो सकता था कि गेंद ने बल्ले से टकराया था या नहीं। यह खुलासा इस विवाद को और बढ़ाता है, क्योंकि बिना हॉट स्पॉट के, निर्णय को लेकर कोई स्पष्टता नहीं बनी।
सुनील गावस्कर का कड़ा ऐतराज: "यह ऑप्टिकल भ्रम है"
इस फैसले पर पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि थर्ड अंपायर ने गलत फैसला लिया और तकनीक का सही इस्तेमाल नहीं किया। स्टार स्पोर्ट्स के लिए कमेंट्री करते हुए गावस्कर ने कहा, "अगर आप तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उसका पूरी तरह से इस्तेमाल करें। यह ऑप्टिकल भ्रम के अलावा और कुछ नहीं है।" उन्होंने यह भी कहा कि यदि स्निको से कोई शोर नहीं दिखा तो यह निर्णय पूरी तरह गलत था।
गावस्कर ने यह भी कहा, "अगर स्निको से कुछ भी दिख सकता था, तो ये अलग बात थी, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। अगर आप ऑप्टिकल इल्यूजन के साथ जाने वाले हैं, तो तकनीक का इस्तेमाल बिल्कुल मत करें।" उनका मानना था कि अगर तकनीक का सहारा लिया जा रहा है, तो उसे पूरी ईमानदारी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
क्या हॉट स्पॉट से स्थिति साफ हो सकती थी?
जायसवाल के आउट को लेकर अब कई सवाल उठने लगे हैं। हॉट स्पॉट, जो पहले से ही क्रिकेट में बहुत प्रभावी मानी जाती है, इस मामले में विवाद को हल कर सकती थी। यदि हॉट स्पॉट का इस्तेमाल किया जाता, तो यह साफ हो सकता था कि गेंद ने वास्तव में बल्ले को छुआ था या नहीं। हालांकि, तकनीकी खामियों के कारण यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि गेंद ने दस्ताने से टकराया था या नहीं।
इस मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल सही तरीके से और पूरी तरह से होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता, तो फैसले पर सवाल उठते रहेंगे, जैसा कि इस मामले में हुआ है।
यशस्वी जायसवाल के विवादास्पद आउट के मामले ने एक बार फिर क्रिकेट में तकनीकी उपकरणों के इस्तेमाल और अंपायर के फैसलों को लेकर बहस छेड़ दी है। जहां हॉट स्पॉट तकनीक इस विवाद को हल कर सकती थी, वहीं बिना सही उपकरण के लिए लिए गए फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, यह निश्चित करना कि आखिरकार कौन सही था, अभी भी मुश्किल है, लेकिन एक बात तो तय है कि सही प्रक्रिया का पालन करने से इस तरह के विवादों को कम किया जा सकता है।


