वैष्णो देवी यात्रा पर गए दिल्ली के परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, 6 की मौत, बच्चे अस्पताल में भर्ती
दिल्ली के बुराड़ी निवासी एक ही परिवार के 6 सदस्य वैष्णो देवी यात्रा के दौरान लैंडस्लाइड में मौत हो गई. दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं, जिनमें एक ICU में है. प्रशासनिक सहायता के अभाव में परिवार दुख और आक्रोश में है. हादसे के बाद सरकार की निष्क्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

Vaishno Devi landslide: दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र स्थित केशव नगर कॉलोनी में रहने वाले एक ही परिवार के 6 सदस्यों की एक दुखद हादसे में मौत हो गई. ये सभी माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए एक साथ गए थे. कुल 16 लोग इस यात्रा पर निकले थे, लेकिन रास्ते में अचानक हुए लैंड स्लाइड की चपेट में आने से परिवार के 6 सदस्यों की जान चली गई. इस हादसे में दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं, जिनमें से एक की हालत नाजुक बनी हुई है और उसे आईसीयू में रखा गया है.
हादसे में परिवार के 6 सदस्य नहीं रहे
मृतकों में 45 वर्षीय अजय, उनका छोटा भाई 38 वर्षीय राजा, राजा की पत्नी पिंकी और उनकी 12 वर्षीय बेटी दीपांशी शामिल हैं. इनके साथ ही 17 साल की तानिया और 23 साल की पुकार भी इस हादसे में जान गंवा बैठीं. ये दोनों गाजियाबाद की रहने वाली थीं और परिवार की रिश्तेदार थीं. सभी लोग एक ही मकान में रहते थे और एकसाथ वैष्णो देवी यात्रा के लिए निकले थे.
कई जिंदगियां एक झटके में उजड़ गईं
इस हादसे के बाद पूरा परिवार लगभग बिखर गया है. अब इस घर में केवल दो बुजुर्ग सदस्य और दो छोटे बच्चे बचे हैं. इन बच्चों में एक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. घर की बुजुर्ग महिला राजकुमारी, जो यात्रा में साथ थीं, उनकी जान इसलिए बच गई क्योंकि उन्हें पालकी में ऊपर भेजा गया था. उनके साथ एक बच्ची भी पालकी में थी, जो सुरक्षित रही. लेकिन बाकी परिवारजन दुर्भाग्य से हादसे का शिकार हो गए.
प्रशासनिक लापरवाही से नाराज है परिवार
हादसे के बाद पीड़ित परिवार की हालत बेहद खराब है. मानसिक और आर्थिक दोनों स्तरों पर यह घटना उन्हें झकझोर गई है. अंतिम संस्कार की व्यवस्था के लिए भी उन्हें खुद संघर्ष करना पड़ा. श्मशान घाट में दाह संस्कार के लिए ली गई राशि तक भी रिश्तेदारों ने जुटाई, क्योंकि घर में अब कोई कमाने वाला नहीं बचा.
परिवार का कहना है कि प्रशासन ने हादसे के बाद कोई विशेष मदद नहीं की. भले ही यह एक प्राकृतिक आपदा थी, लेकिन उसके बाद प्रभावित परिवारों की मदद करना सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है, जिसे पूरा नहीं किया गया.
सवालों के घेरे में प्रशासन
यह हादसा एक बार फिर सवाल उठाता है कि आपदा के बाद राहत और पुनर्वास की योजनाएं कितनी प्रभावी हैं? जब एक परिवार इस तरह उजड़ जाए, तो प्रशासन को तुरंत सक्रिय होकर सहायता पहुंचानी चाहिए. लेकिन इस मामले में प्रशासन की संवेदनहीनता ने परिवार को और अधिक पीड़ा दी है.


