दिवाली पर हिंदू व्यापारियों से ही खरीदारी...MLA के विवादित बयान पर भड़के अजित पवार, भेजा कारण बताओ नोटिस
Ajit Pawar NCP Controversy : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार गुट के एक विधायक संग्राम जगताप ने एक विवादास्पद बयान उस समय दिया जब महाराष्ट्र में कुछ ही दिनों में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं. जगताप ने हिंदू मतदाताओं से अपील की कि वे दिवाली की खरीदारी केवल हिंदू व्यापारियों से ही करें. वहीं, अब अजित पवार ने इस टिप्पणियों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है ,इसके साथ ही उन्होंने विधायक के खिलाफ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है.

Ajit Pawar NCP Controversy : महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से ठीक पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार गुट को एक गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है. इसका कारण है पार्टी विधायक संग्राम जगताप द्वारा दिया गया विवादास्पद बयान, जिसमें उन्होंने हिंदू मतदाताओं से दिवाली की खरीदारी केवल हिंदू व्यापारियों से करने की अपील की. इस बयान ने पार्टी के धर्मनिरपेक्ष और बहु-सामुदायिक आधार को गहरी चोट पहुंचाई है.
टिप्पणियों को पूरी तरह से खारिज किया
इस तरह का बयान पार्टी के लिए नुकसानदेह
स्थानीय निकाय चुनावों से पहले इस तरह का बयान पार्टी के लिए और भी नुकसानदेह साबित हो सकता है. ये चुनाव अक्सर जातीय और सामुदायिक समीकरणों पर निर्भर होते हैं. संग्राम जगताप पहले भी कट्टर हिंदुत्व के समर्थन में बयान दे चुके हैं, जो उनके निर्वाचन क्षेत्र के वोट बैंक को साधने की कोशिश मानी जा रही है. लेकिन यह प्रयास पार्टी की राज्यव्यापी रणनीति के विपरीत जा रहा है.
राजनीतिक संतुलन साधने की परीक्षा
यह घटना अजित पवार के लिए राजनीतिक संतुलन साधने की परीक्षा है. एक ओर उन्हें जगताप जैसे नेताओं की स्थानीय जरूरतों और दबावों को समझना है, वहीं दूसरी ओर राज्य भर में पार्टी की धर्मनिरपेक्ष छवि बनाए रखनी है. ऐसे में केवल नोटिस जारी कर देना अल्पसंख्यक समुदाय और प्रगतिशील वोटर को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं लगता.
विपक्ष और सुप्रिया सुले की नाराजगी
इस मामले ने पार्टी के भीतर भी असंतोष को जन्म दिया है. शरद पवार गुट की नेता सुप्रिया सुले ने सार्वजनिक रूप से सख्त कार्रवाई की मांग की है. विपक्षी दलों ने भी इसे मुद्दा बनाकर एनसीपी की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इससे साफ है कि पार्टी को अपनी छवि बचाने के लिए कठोर अनुशासनात्मक कदम उठाने होंगे, वर्ना यह विवाद चुनावी नुकसान में बदल सकता है.
संग्राम जगताप का बयान सिर्फ एक स्थानीय विधायक की व्यक्तिगत राय नहीं, बल्कि एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बन चुका है. अजित पवार के लिए यह परीक्षा की घड़ी है उन्हें यह तय करना होगा कि वे पार्टी के विचारधारा के मूल स्वरूप की रक्षा के लिए कितने निर्णायक और स्पष्ट रुख अपनाते हैं. वरना आने वाले चुनावों में एनसीपी का बहु-सामुदायिक समर्थन खतरे में पड़ सकता है.


