आजम खान से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव की पहली प्रतिक्रिया आई सामने
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को रामपुर में पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की. उन्होंने आज़म खान को पार्टी की नींव" बताते हुए उनके योगदान को सराहा. यह बैठक सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने मुलाकात थी.

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान से रामपुर स्थित उनके आवास पर भेंट की. यह मुलाकात आज़म खान की सीतापुर जेल से रिहाई के बाद पहली औपचारिक बैठक थी. लगभग 23 महीने बाद दोनों नेताओं का आमना-सामना हुआ, जिससे सपा खेमे में राजनीतिक सरगर्मी तेज़ हो गई.
अखिलेश ने ली स्वास्थ्य की जानकारी
अखिलेश यादव ने मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि वह आज़म खान का हालचाल जानने और उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेने आए थे. उन्होंने कहा कि आज़म खान जी समाजवादी पार्टी की नींव हैं. पार्टी की जड़ें जितनी मज़बूत हैं, उनमें उनका योगदान सबसे गहरा है. उनकी छाया हमेशा हमारे साथ रही है और आगे भी रहेगी.
यादव ने आगे कहा कि सपा की अगली सरकार बनने पर आज़म खान के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लिया जाएगा. यह बयान पार्टी नेतृत्व की ओर से आज़म खान के प्रति एकजुटता और सम्मान का संकेत माना जा रहा है. अखिलेश यादव ने आज़म खान को संगठन का अहम स्तंभ बताते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी को मज़बूत करने में लंबे समय तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
मौलाना मुहिउउल्लाह नदवी के सवाल पर नहीं दी प्रतिक्रिया
हालांकि, जब उनसे मौलाना मुहिउउल्लाह नदवी के मामले में सवाल पूछा गया, तो अखिलेश यादव ने इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और चुप्पी बनाए रखी. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश की यह यात्रा न सिर्फ़ आज़म खान के प्रति समर्थन का संदेश है, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मुस्लिम मतदाताओं के बीच पार्टी की पकड़ मज़बूत करने की रणनीति का हिस्सा भी है.
फिलहाल, समाजवादी पार्टी के पास उत्तर प्रदेश विधानसभा में 107 विधायक और संसद में 37 सदस्य हैं, जिनमें से 34 विधायक और चार सांसद मुस्लिम समुदाय से आते हैं. यह आंकड़ा सपा की सामाजिक और राजनीतिक रणनीति में मुस्लिम नेतृत्व की अहम भूमिका को दर्शाता है.
रामपुर की यह मुलाकात सपा के अंदरूनी समीकरणों को फिर से सक्रिय करती दिखाई दी, क्योंकि लंबे समय से आज़म खान की पार्टी से दूरी और कानूनी मुश्किलों को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं. अखिलेश यादव की यह पहल यह संकेत देती है कि पार्टी अपने पुराने नेताओं को फिर से केंद्र में लाने की कोशिश कर रही है, ताकि संगठन में एकता और विश्वास को मज़बूती दी जा सके.


