बिहार विधानसभा चुनाव: आ गया पहले चरण के मतदान का फाइनल आंकड़ा, 65 फीसदी हुई वोटिंग...महिलाओं ने किया कमाल
पहले चरण में बिहार में 65.08% की रिकॉर्ड वोटिंग हुई, जिसमें महिलाओं ने 69.04% मतदान कर पुरुषों से आठ प्रतिशत की बढ़त बनाई. महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने कुल वोटिंग को ऐतिहासिक स्तर तक पहुंचाया. अब सबकी नजरें दूसरे चरण पर हैं.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के अंतिम आंकड़े जारी हो गए हैं. 6 नवंबर को 18 जिलों की 121 सीटों पर हुए मतदान में इस बार जनता ने अभूतपूर्व उत्साह दिखाया. वोटिंग का कुल प्रतिशत 65.08 रहा, जो बिहार विधानसभा चुनावों के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है. इससे पहले कभी भी वोटिंग इस स्तर तक नहीं पहुंच पाई थी.
महिलाओं ने मतदान में तोड़ा रिकॉर्ड
पहले चरण की वोटिंग में सबसे खास बात यह रही कि महिलाओं ने एक बार फिर पुरुषों को पीछे छोड़ दिया. महिलाओं का कुल मतदान प्रतिशत 69.04 दर्ज हुआ, जबकि पुरुषों का वोटिंग प्रतिशत 61.56 रहा. यानी करीब 8 प्रतिशत की बढ़त के साथ महिलाओं ने साबित किया कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने में उनकी भागीदारी लगातार बढ़ रही है.
बिहार में पिछले तीन विधानसभा चुनावों से महिलाओं का मतदान पुरुषों से अधिक रहा है, और इस बार यह अंतर और भी बड़ा हो गया. यह रुझान बताता है कि महिलाएं अपने मुद्दों और भविष्य को लेकर अधिक सजग और सक्रिय हो चुकी हैं.
कहां हुआ सबसे ज्यादा?
इस चरण में मीनापुर सीट सबसे आगे रही जहां 77.54 प्रतिशत वोट पड़े. महिलाओं ने इस सीट पर तो 82.49 प्रतिशत मतदान करते हुए रिकॉर्ड ही बना दिया. वहीं कुम्हरार सीट सबसे पीछे रही, जहां केवल 40.17 प्रतिशत वोट पड़े. यहां महिलाओं की वोटिंग भी मात्र 39.19 प्रतिशत रही, जो पूरे बिहार में सबसे कम है. पुरुषों में सबसे अधिक मतदान बोचाहन सीट पर दर्ज हुआ, जहां 73.78 प्रतिशत पुरुषों ने वोट डाला. इसके विपरीत कुम्हरार सीट पर ही पुरुषों का मतदान सबसे कम 41.10 प्रतिशत रहा.
25 वर्षों में सबसे बड़ा उछाल
अगर पिछले 25 वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये पहला अवसर है जब वोटिंग प्रतिशत 65% से ऊपर पहुंचा है. 2020 के चुनाव में मतदान प्रतिशत 56.93 था, जो उस समय का सर्वोच्च रिकॉर्ड था. इस बार उससे लगभग 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
2000 में जब बिहार और झारखंड का विभाजन नहीं हुआ था, तब 62.57 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. उसके बाद 2005 के दोनों विधानसभा चुनावों में मतदान 50 प्रतिशत से भी कम रहा. दिलचस्प बात यह है कि उन चुनावों में पुरुषों का मतदान हमेशा महिलाओं से अधिक था.
महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से कुल वोटिंग में उछाल
2010 के चुनाव से स्थिति बदली और पहली बार महिलाओं ने पुरुषों से अधिक मतदान किया. 2015 और 2020 के चुनावों में भी महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा. 2015 में महिलाओं ने 60.48 प्रतिशत मतदान किया, जो पुरुषों के 53.32 प्रतिशत से काफी आगे था.2020 में भी 59.69 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया, जबकि पुरुषों का प्रतिशत 54.49 रहा.
महिलाओं की वोटिंग में निरंतर बढ़ोतरी ने कुल मतदान प्रतिशत को लगातार ऊपर उठाया. यही वजह है कि इस बार पहले चरण में 65% से अधिक वोटिंग संभव हो पाई.
अगले चरण पर बढ़ी निगाहें
पहले चरण की इस ऐतिहासिक वोटिंग ने चुनावी माहौल को और गरम कर दिया है. राजनीतिक दलों की नजरें अब दूसरे चरण पर टिक गई हैं, जहां मुकाबला और भी रोचक होने वाला है.


