केंद्र सरकार ने की मान सरकार की सराहना, पंजाब सरकार की सफलता, किसानों के सहयोग से पराली जलाने में 85% की हुई ऐतिहासिक गिरावट
पंजाब के किसान अब सिर्फ अन्नदाता नहीं, हवा के हीरो बन गए हैं. पराली जलाने की घटनाएं 2021 से 71,300 से घटकर 2024 में मात्र 10,900 हो गईं है. यानी 85% की गिरावट आई है. इस साल तो सिर्फ 3,284 केस है. CAQM चीफ ने थर्मल प्लांट पहुंचकर तालियां बजाईं और कहा कि ये है असली पराली क्रांति.

पंजाब: पंजाब के किसान अब केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि वातावरण के रक्षक भी बन चुके हैं. राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में आई ऐतिहासिक गिरावट ने पूरे देश का ध्यान खींचा है. हाल ही में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के अध्यक्ष राजेश वर्मा जब राजपुरा थर्मल प्लांट पहुंचे, तो उनका मकसद चेतावनी देना नहीं, बल्कि किसानों की उपलब्धि को सम्मान देना था वह उपलब्धि जिसे अब पराली क्रांति कहा जा रहा है.
राज्य में 2021 में पराली जलाने की 71,300 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जो 2024 में घटकर सिर्फ 10,900 रह गईं है. यानी 85% की कमी. इस वर्ष अब तक केवल 3,284 घटनाएं सामने आई हैं. यह बदलाव केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि किसानों की सोच और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के प्रति दृष्टिकोण में भी झलकता है.
पराली से प्रदूषण नहीं, अब बन रहा बायोमास ईंधन
धान का पुआल अब किसानों के लिए आय का स्रोत बन गया है, वर्मा ने अपनी यात्रा के दौरान कहा. जो पहले खेतों को जल्दी साफ करने के लिए जला दिया जाता था, अब वही थर्मल प्लांटों के लिए बायोमास ईंधन के रूप में इस्तेमाल हो रहा है. राजपुरा प्लांट में कोयले के साथ बायोमास मिश्रण का निरीक्षण करते हुए वर्मा ने कहा कि पंजाब के किसान अब सिर्फ फसलें नहीं उगा रहे, बल्कि समाधान भी उगा रहे हैं.
किसानों के लिए नई आय, पर्यावरण के लिए नई उम्मीद
राज्य सरकार के बायोमास-कोयला मिश्रण प्रयासों ने किसानों के लिए आय के नए स्रोत तैयार किए हैं. इससे न केवल उनकी कमाई बढ़ी है, बल्कि उत्तर भारत की प्रदूषण समस्या से निपटने में भी अहम योगदान मिला है. यह बदलाव रातोंरात नहीं हुआ. इसके पीछे है बायोमास संग्रहण ढांचे में निवेश, किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रम, और सरकारी आर्थिक सहायता जिसने इस परिवर्तन को संभव बनाया. आम आदमी पार्टी सरकार के केंद्रित दृष्टिकोण ने पंजाब को एक ऐसा मॉडल राज्य बना दिया है, जिसे अब अन्य प्रदेश अध्ययन कर रहे हैं.
पराली क्रांति बनी देश के लिए प्रेरणा
वर्मा ने कहा कि इस साल पराली जलाने की घटनाओं में तीव्र गिरावट पिछले सीजन की तुलना में दर्शाती है कि किसान कैसे ‘पराली क्रांति’ का नेतृत्व कर रहे हैं.' यह बयान केवल एक प्रशंसा नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के प्रमुख वायु गुणवत्ता निकाय का यह स्वीकार है कि सच्चा बदलाव जमीनी स्तर पर किसानों की भागीदारी से आता है, न कि केवल सरकारी आदेशों से.
किसान कैसे बने पर्यावरण के प्रहरी
पंजाब के किसानों के लिए यह केवल अनुपालन नहीं, बल्कि भूमि के प्रति अपनी जिम्मेदारी की पुनर्प्राप्ति है. पराली क्रांति ने साबित किया है कि कृषि समृद्धि और पर्यावरणीय जिम्मेदारी एक-दूसरे की पूरक शक्तियां हैं.
जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आई, पंजाब का आसमान पिछले वर्षों की तुलना में अधिक साफ दिखाई दिया. यह किसानों की मेहनत और सरकार की दूरदर्शिता का परिणाम है. एक ऐसा उपहार जो पूरे उत्तर भारत को मिला. यह है पंजाब की नई कहानी परिवर्तन, जिम्मेदारी और नेतृत्व की कहानी, जिसे लिख रहे हैं वे लोग जो भारत को भोजन देते हैं.


