MNS-शिवसेना (UBT) के बीच चुनावी गठबंधन की चर्चा तेज, क्या मुंबई की राजनीति में आएगा बदलाव?
MNS और शिवसेना (UBT) के बीच आगामी बीएमसी चुनावों को लेकर गठबंधन पर प्रारंभिक बातचीत हो रही है, लेकिन सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों में विवाद जारी है.

आगामी बृहन्मुंबई महानगर पालिका यानी बीएमसी चुनावों के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) और शिवसेना (UBT) के बीच गठबंधन को लेकर प्रारंभिक चर्चाएं शुरू हो गई हैं. सूत्रों के अनुसार, दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी हैं. इन बैठकों का उद्देश्य मुंबई के सबसे अमीर नगर निगम चुनाव में एक रणनीतिक गठबंधन बनाने की संभावना पर विचार करना है.
हालांकि, दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कुछ विवाद सामने आ रहे हैं, लेकिन बातचीत का दौर जारी है. ये गठबंधन अगर पूरी तरह से साकार होता है, तो मुंबई की राजनीतिक दिशा में एक बड़ा बदलाव ला सकता है.
शिवसेना (UBT) और MNS के बीच हुई मुलाकातें
अब तक शिवसेना (UBT) के विधायक वरुण सरदेसाई और MNS के वरिष्ठ नेता बाला नंदगांवकर के बीच तीन बैठकें हो चुकी हैं. इसके अलावा, MNS मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे और वरुण सरदेसाई के बीच भी पिछले महीने में चार बार मुलाकातें हो चुकी हैं. ये बैठकें दोनों दलों के बीच की कड़ी बातचीत का हिस्सा हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य आगामी BMC चुनावों के लिए एक साथ आना है.
सीट बंटवारे में आ रही हैं बाधाएं
शिवसेना (UBT) और MNS दोनों ही मुंबई के प्रमुख क्षेत्रों जैसे दादर, वरली, पारेल, कालाचौकी, गिरगांव, भांडुप और मुलुंड में महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं. इन क्षेत्रों में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत में दिक्कतें आ रही हैं. दोनों पार्टियों के बीच प्रमुख विवाद ये है कि किसे अपनी मजबूत सीटों पर समझौता करना चाहिए. शिवसेना (UBT) ने 2017 के बीएमसी चुनाव परिणामों को आधार मानते हुए सीट बंटवारे की बात की है. 2017 में शिवसेना ने 84 सीटें जीती थीं, जबकि MNS को सिर्फ 7 सीटें मिली थीं. शिवसेना का कहना है कि केवल बाकी सीटों पर ही बातचीत की जाए.
MNS का 2017 के परिणामों को नकारने का तर्क
हालांकि, MNS इस तर्क को नकारते हुए कहता है कि 2017 के चुनाव परिणाम अब वर्तमान राजनीतिक स्थिति को नहीं दर्शाते. पार्टी का कहना है कि शिवसेना के विभाजन के बाद लगभग 50 निगम पदाधिकारी उद्धव ठाकरे के गुट से निकलकर अन्य गुटों में शामिल हो गए हैं, जिससे शिवसेना की स्थिति कमजोर हुई है. इसलिए, MNS का कहना है कि 227 सीटों के पूरे स्पेक्ट्रम पर बातचीत होनी चाहिए, ना कि केवल बाकी सीटों पर.
हालांकि, बातचीत जारी है, लेकिन दोनों पार्टियां इस पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी करने से बच रही हैं. अगर ये गठबंधन पूरी तरह से आकार लेता है तो ये मुंबई की नगर निगम राजनीति में एक बड़ा उलटफेर कर सकता है.


