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Coldrif दवा लिखने के लिए मिलता था मोटा कमीशन...सिरप से 24 बच्चों की मौत पर डॉक्टर ने किया बड़ा खुलासा

Coldref Cough Syrup Death : मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से 24 बच्चों की मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. डॉक्टर प्रवीण सोनी ने पूछताछ में माना कि वे दवा कंपनी से 10% कमीशन लेकर सिरप लिखते थे. उन्होंने सरकार की गाइडलाइन का उल्लंघन कर 4 साल से कम उम्र के बच्चों को जानलेवा दवा दी. कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और SIT जांच जारी है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Coldref Cough Syrup Death : मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में बच्चों की रहस्यमय मौतों का सिलसिला अब एक गंभीर चिकित्सा घोटाले में बदलता जा रहा है. कोल्ड्रिफ कफ सिरप से जुड़ी इस त्रासदी में अब तक 24 बच्चों की जान जा चुकी है और ताजा खुलासों ने चिकित्सा पेशे की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस जांच में यह सामने आया है कि गिरफ्तार किए गए डॉक्टर प्रवीण सोनी ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि वे कोल्ड्रिफ सिरप को बच्चों को लिखने के बदले संबंधित दवा कंपनी से 10% कमीशन प्राप्त कर रहे थे.

कमीशन के लिए बच्चों को दी खतरनाक दवा 

दरअसल, पुलिस ने कोर्ट में पेश रिपोर्ट में बताया कि डॉक्टर प्रवीण सोनी ने जानबूझकर एक ऐसी दवा बच्चों को दी, जो उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक थी. सिरप देने के बावजूद जब बच्चों में गंभीर समस्याएं जैसे पेशाब रुकना, किडनी इंफेक्शन और अन्य मूत्र संबंधी विकार सामने आए, तो भी उन्होंने न तो परिवारों को चेतावनी दी और न ही स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया. यह व्यवहार न केवल चिकित्सा नैतिकता का उल्लंघन है, बल्कि एक आपराधिक गैरजिम्मेदारी भी है, जिसने मासूम जानें ले लीं.

डॉक्टर के रिश्तेदार थे सिरप के स्टॉकिस्ट
जांच में यह भी सामने आया है कि डॉ. सोनी के निजी क्लीनिक के ठीक बाजू में उनके परिजनों की मेडिकल दुकान है, जहां पर कोल्ड्रिफ सिरप का बड़ा स्टॉक रखा गया था. पुलिस ने इसे डॉक्टर और दवा विक्रेताओं के बीच सांठगांठ करार दिया है. यह भी कहा गया है कि डॉक्टर की मंशा मरीजों की सेवा नहीं, बल्कि दवा से अधिकतम लाभ कमाना था, जिससे वह खुद भी और उनके परिवारजन भी आर्थिक रूप से लाभान्वित हो रहे थे.

स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन की भी अनदेखी
कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि डॉ. सोनी ने भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय द्वारा 18 दिसंबर 2023 को जारी उस गाइडलाइन का भी पालन नहीं किया, जिसमें 4 साल से कम उम्र के बच्चों को फिक्स डोज कॉम्बिनेशन (FDC) दवा न देने का निर्देश था. इसके बावजूद उन्होंने इस आयु वर्ग के बच्चों को भारी मात्रा में यह सिरप दिया, जिससे बच्चों की हालत गंभीर होती चली गई. विशेष बात यह रही कि डॉ. सोनी एक वरिष्ठ चिकित्सक हैं, फिर भी उन्होंने इन निर्देशों की अवहेलना की.

कोर्ट का कड़ा रुख, जमानत याचिका खारिज
8 अक्टूबर को अदालत ने डॉ. प्रवीण सोनी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया. अदालत ने माना कि आरोपी के खिलाफ लगे आरोप बेहद गंभीर हैं और जांच अभी अधूरी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो वे साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकते हैं या गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में न्याय प्रक्रिया को सुरक्षित रखने के लिए उनकी हिरासत जरूरी है. कोर्ट के इस निर्णय के बाद राज्य सरकार ने इस मामले की गहराई से जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है.

चेतावनी के बावजूद नहीं किया खुलासा
पुलिस ने यह भी बताया कि जब डॉक्टर को कोल्ड्रिफ सिरप से बच्चों में गंभीर लक्षण दिखाई देने लगे, तब भी उन्होंने न तो दवा लिखना बंद किया और न ही इसके दुष्प्रभावों की सूचना दी. इस चुप्पी और लापरवाही के कारण न केवल बच्चों की स्थिति बिगड़ती गई, बल्कि कुछ की जान भी चली गई. इस स्थिति को चिकित्सा क्षेत्र में जानबूझकर की गई लापरवाही और लालच से प्रेरित अपराध माना जा रहा है.

बच्चों की मौतें, मुनाफे की मानसिकता
यह मामला न सिर्फ चिकित्सा पेशे की प्रतिष्ठा पर गहरा आघात है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे कमीशन और लालच किसी भी पेशेवर को अपने नैतिक और कानूनी कर्तव्यों से भटका सकते हैं. डॉक्टर, जिसे समाज में भगवान का दर्जा दिया जाता है, जब खुद मरीजों की जान से खेलने लगे, तो सवाल उठता है – क्या अब इलाज भी मुनाफे का सौदा बन गया है? मध्य प्रदेश पुलिस और न्यायालय की सख्ती इस बात का संकेत है कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. साथ ही, यह केस पूरे देश में चिकित्सकों और दवा कंपनियों के संबंधों पर निगरानी रखने की चेतावनी भी बनकर उभर रहा है.

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14 October 2025, 07:16 PM IST

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