हरपाल सिंह चीमा ने BJP पर साधा निशाना, 23000 करोड़ रुपये का बकाया उजागर
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि मनरेगा में सुधारों के नाम पर जनता को गुमराह किया जा रहा है और 23,000 करोड़ रुपये का बकाया रोजगार गारंटी को कमजोर करता है.

पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बुधवार को केंद्र सरकार पर सीधा हमला करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा-led केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में सुधारों के नाम पर जनता को गुमराह कर रही है. उन्होंने कहा कि 23,000 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया इस बात का प्रमाण है कि केंद्र सरकार के सुधारों के दावे वास्तविकता से बहुत दूर हैं.
चीमा ने केंद्र को घेरा
चीमा ने कहा कि केंद्र ने वित्तीय बोझ का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा राज्यों पर डालकर और योजना के अधिकार-आधारित ढांचे को कमजोर करके रोजगार गारंटी को कमजोर कर दिया है. उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब विधानसभा मजदूरों के हित में इस कदम के खिलाफ खड़ी है, जबकि कांग्रेस शासित राज्य चुप्पी साधे हुए हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री ने भाजपा की कार्रवाईयों की आलोचना करते हुए बताया कि स्थाई समिति ‘ग्रामीण विकास और पंचायती राज 2024-25’ ने कभी भी धर्म के आधार पर कोई बदलाव करने की सिफारिश नहीं की थी. समिति ने केवल पेंडिंग फंड को तुरंत जारी करने की अपील की थी, लेकिन भाजपा ने इसे तोड़-मरोड़कर अपने एजेंडे के लिए पेश किया.
हरपाल सिंह चीमा का खुलासा
हरपाल सिंह चीमा ने खुलासा किया कि भाजपा केंद्र सरकार के ‘सुधार’ के दावों के बावजूद, 23,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है. इसमें मजदूरों की 12,219 करोड़ रुपये की अवैतनिक मजदूरी और पंचायतों के 11,227 करोड़ रुपये के ग्रामीण विकास परियोजना खर्च शामिल हैं. उन्होंने कहा कि 2025-26 के बजट का लगभग 27 प्रतिशत हिस्सा अभी तक जारी नहीं किया गया है, जिससे लाखों परिवारों को भूख और निराशा का सामना करना पड़ रहा है.
मंत्री ने कहा कि भाजपा ने मनरेगा को नए फ्रेमवर्क में बदलकर राज्य सरकारों पर वित्तीय बोझ डाला और केंद्र से पहले मंजूरी की बाध्यता रखकर रोजगार गारंटी की प्रभावशीलता को खत्म कर दिया है. उन्होंने मोबाइल-लोकेशन-आधारित हाजिरी जैसी शर्तों की भी आलोचना की, जो तकनीकी साधन न रखने वाले मजदूरों के लिए बाधक हैं.
कांग्रेस की चुप्पी पर उठाए सवाल
हरपाल सिंह चीमा ने कांग्रेस की चुप्पी पर सवाल उठाया और कहा कि पंजाब सरकार विधानसभा में औपचारिक प्रस्ताव पास कर देश की पहली सरकार बनी, जिसने इन नीतियों के खिलाफ कदम उठाया. उन्होंने केंद्र से मांग की कि मनरेगा को इसके मूल अधिकार-आधारित ढांचे में बहाल किया जाए और बकाया राशि तुरंत जारी की जाए, ताकि गरीब और दलित समुदाय के जीवन और सम्मान की रक्षा हो सके.


