झुग्गी-झोपड़ियों के वंशज... इस बयान पर छिड़ी बहस, सोशल मीडिया पर भिड़े नोएडा और गुरुग्राम के लोग
दिल्ली-एनसीआर में नोएडा बनाम गुरुग्राम की बहस सोशल मीडिया पर गर्मा गई है, जहां सुहेल सेठ के बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया.

Noida vs Gurugram: दिल्ली से सटे दो बड़े शहर- गुरुग्राम और नोएडा में से कौन सा शहर रहने के लिए बेहतर है? जिसे लेकर नई बहस शुरू हो गई है, लेकिन इस बार ये बहस तब तूल पकड़ गई, जब मार्केटिंग गुरु सुहेल सेठ ने एक पॉडकास्ट में कुछ ऐसे बयान दिए, जिसने सोशल मीडिया पर नोएडा और गुरुग्राम के निवासियों के बीच बहस छेड़ दी. लोग ये पूछ रहे हैं कि इस साल की बारिशों ने हमें क्या सिखाया, कौन सा शहर रहने के लिए बेहतर है और क्या नोएडा या गुरुग्राम चुनना वर्गीय भेदभाव कहलाएगा.
नोएडा की निवासी और वकील गौरी खन्ना ने X (पूर्व Twitter) पर इस बहस को और गरम कर दिया. उन्होंने एक क्लिप पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सुहेल सेठ के नोएडा को लेकर दिये गए कथन वर्गीय भेदभाव से भरे हुए हैं.
पॉडकास्ट में क्या कहा गया?
क्लिप में पूर्व दिल्ली मुख्य सचिव ओमेश सैगल कहते हैं कि झुग्गियों को नोएडा ले जाया गया था जब इमरजेंसी (1975-77) में दिल्ली से स्लम हटाए गए थे. इसके बाद सुहेल सेठ ने टिप्पणी की- मुझे लगता है कि नोएडा वाले ये जान लें कि वे असल में झुग्गियों के वंशज हैं. उन्होंने गुरुग्राम की तुलना करते हुए कहा कि वहां करोड़पति झुग्गी जैसे माहौल में रहते हैं. हालांकि, पॉडकास्ट में दोनों ने दिल्ली के बेहतर नियोजन की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
नोएडा निवासियों की प्रतिक्रिया
गौरी खन्ना ने इस टिप्पणी पर तुरंत प्रतिक्रिया दी और कहा कि इमरजेंसी के दौरान जब झुग्गी ध्वंस हुए, परिवारों को दिल्ली के भीतर ही पुनर्वासित किया गया था, नोएडा में नहीं. नोएडा 1976 में एक नियोजित औद्योगिक नगर के रूप में स्थापित किया गया था ताकि दिल्ली के उद्योगों का भार कम हो सके. गौरी खन्ना ने आगे कहा कि नोएडा में रहने वाले “मैनहैटन” जैसा अनुभव महसूस कर सकते हैं क्योंकि यहां बारिश में भी 6 घंटे लंबी ट्रैफिक जाम जैसी समस्या नहीं होती.
एक्सपर्ट और अन्य यूजर्स की राय
सेना के पूर्व अधिकारी संदीप ठापर ने कहा कि उन्होंने गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा दोनों में रहकर देखा है और ग्रेटर नोएडा लेआउट, ड्रेनेज, ट्रैफिक और कनेक्टिविटी के मामले में कहीं बेहतर है. उन्होंने कहा कि जेवर एयरपोर्ट पूरी तरह से चालू होने के बाद लोग गुरुग्राम की तुलना में नोएडा को प्राथमिकता देंगे. वहीं कुछ यूजर्स ने कहा कि नोएडा-डेल्ही एंट्री-एक्जिट पॉइंट्स अभी भी समस्या हैं और कई क्षेत्रों में गड्डे हैं.
गुरुग्राम के समर्थक
एक यूजर बालराम सिंह ने कहा कि मामला केवल नागरिक सुविधाओं या बारिश का नहीं है. गुरुग्राम एक अलग ही स्तर पर है. यहां रहने वाले लोग और उनका नेटवर्क इसे विशेष बनाता है. इसके पास दिल्ली के पास की लोकेशन, वर्कस्पेस, हॉस्पिटल्स, गोल्फ कोर्स और स्टार्टअप इकोसिस्टम जैसी खूबियां हैं. कई यूजर्स ने इस तुलना वाली बहस को हानिकारक बताया और कहा कि हर शहर की सतत विकास पर ध्यान देना ज्यादा महत्वपूर्ण है, ना कि इसे हाइप या नॉन-हाइप कहा जाए.


