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छत्तीसगढ़ के सुकमा में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, मुठभेड़ में 2 महिलाओं समेत 3 नक्सली ढेर

सुकमा में सुरक्षा बलों ने तीन माओवादियों को ढेर किया, जिनमें जनमिलिटिया कमांडर मदवी देवा भी शामिल था. यह कार्रवाई हाल के उन ऑपरेशनों के बाद हुई है जिनमें कई एरिया कमेटी प्रमुख मारे गए या आत्मसमर्पण कर चुके हैं.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

सुकमा : छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सुरक्षाबलों ने माओवादियों पर एक और बड़ा प्रहार किया. रविवार तड़के भेज्जी थाना क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में तीन माओवादी मारे गए, जिनमें दो महिलाएँ भी शामिल थीं. मार गिराए गए माओवादियों में जनमिलिटिया कमांडर और स्नाइपर विशेषज्ञ मदवी देवा भी था, जिस पर पाँच लाख रुपये का इनाम घोषित था. अन्य दो मृत माओवादी भी समान इनाम राशि के वांछित थे. घटनास्थल से .303 राइफल, बीजीएल ग्रेनेड लॉन्चर और भारी मात्रा में गोला–बारूद बरामद किया गया.

घने जंगलों में कई घंटों तक चला ऑपरेशन

आपको बता दें कि सूचना मिलने के बाद जिला रिजर्व गार्ड (DRG), बस्तर फाइटर्स और CRPF की संयुक्त टीम ने भेज्जी–चिंटागुफा सीमा की घेराबंदी की. रविवार सुबह जब सुरक्षा बल तुमालपाड़ के घने जंगल में पहुँचे, तो माओवादियों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी. कई घंटों तक चली मुठभेड़ के बाद तीन शव बरामद हुए. बस्तर रेंज के IG सुंदरराज पी. ने बताया कि साल 2025 में बस्तर रेंज में अब तक 233 माओवादी मारे जा चुके हैं और क्षेत्र में नक्सलवाद लगभग अंत की ओर है.

तीन एरिया कमेटियां पूरी तरह कमजोर
यह मुठभेड़ उस बड़े ऑपरेशन के बाद हुई जिसमें 11 नवंबर को बीजापुर के नेशनल पार्क इलाके में छह माओवादी ढेर हुए थे. इनमें मद्दीड़ एरिया कमेटी के प्रभारी बुचन्ना और शीर्ष माओवादी नेता पापाराव की पत्नी उर्मिला भी शामिल थीं. पापाराव एक बार फिर बच निकला. इन कार्रवाइयों के साथ ही भैरमगढ़, गंगालूर और मद्दीड़ तीनों एरिया कमेटियों के प्रमुख मारे गए या आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जिससे पूरा नेटवर्क लगभग leaderless हो गया है.

चार शीर्ष कमांडरों का अंतिम गढ़ अभी भी चुनौती
अधिकारियों के अनुसार अब दक्षिण बस्तर में लगभग 300 कुख्यात माओवादी सक्रिय हैं, जिनका नेतृत्व चार चर्चित कमांडर देवजी, पापाराव, हिड़मा और गणेश उइके कर रहे हैं. प्रत्येक पर 1 करोड़ रुपये का इनाम है. उत्तर सब-ज़ोनल ब्यूरो लगभग समाप्त हो चुका है, लेकिन दक्षिण सब-ज़ोनल ब्यूरो विशेषकर दरभा, दक्षिण बस्तर और पश्चिम बस्तर अभी भी माओवादियों का मजबूत क्षेत्र माना जा रहा है.

25 वर्षों का संघर्ष और भारी मानवीय कीमत
राज्य गठन के 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ ने नक्सल हिंसा की भयंकर कीमत चुकाई है 3,404 सशस्त्र मुठभेड़ें, 1,541 माओवादी ढेर, 1,315 जवान शहीद और 1,817 नागरिकों की मौत. हाल की सफलताएँ इस लड़ाई को निर्णायक मोड़ पर लाती दिख रही हैं, लेकिन जब तक चार मुख्य कमांडरों को निष्प्रभावी नहीं किया जाता, बस्तर की अंतिम लड़ाई जारी रहेगी.

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16 November 2025, 11:00 PM IST

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