Swiggy का डिलीवरी ब्वॉय बना डिप्टी कलेक्टर, इंटरव्यू में चौंक गए बोर्ड के सदस्य
सूरज यादव, गिरिडीह के एक छोटे से गांव से हैं, जिनके पिता राज मिस्त्री हैं. आर्थिक तंगी के बावजूद सूरज ने स्विगी और रैपिडो में काम कर पढ़ाई जारी रखी. दोस्तों की मदद से बाइक खरीदी और दिन में काम, रात में पढ़ाई की. परिवार ने भी सहयोग किया. अंततः JPSC परीक्षा पास कर वे डिप्टी कलेक्टर बने. उनकी कहानी संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास की मिसाल है.

JPSC (झारखंड लोक सेवा आयोग) परीक्षा में सफलता की एक प्रेरणादायक कहानी गिरिडीह जिले के कपिलो गांव से सामने आई है. यहाँ के रहने वाले सूरज यादव ने जीवन की तमाम कठिनाइयों को पार करते हुए डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना साकार किया है.
पिता राज मिस्त्री, आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर
स्विगी और रैपिडो का काम कर उठाया पढ़ाई का खर्च
रांची में रहकर सूरज ने स्विगी बॉय और रैपिडो राइडर का काम शुरू किया, ताकि वे अपनी पढ़ाई का खर्च निकाल सकें. लेकिन इस काम के लिए जरूरी बाइक खरीदने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे.
दोस्तों ने बढ़ाया मदद का हाथ
ऐसे वक्त में सूरज के दो दोस्तों राजेश नायक और संदीप मंडल ने उनकी मदद की. दोनों ने अपनी छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) की रकम सूरज को दी, जिससे उन्होंने एक सेकेंड हैंड बाइक खरीदी और डिलीवरी का काम शुरू किया.
दिन में डिलीवरी बॉय, रात में मेहनती छात्र
सूरज दिन में लगभग 5 घंटे डिलीवरी बॉय का काम करते थे और बाकी समय पढ़ाई में लगाते थे. उनकी बहन और पत्नी ने भी इस मुश्किल समय में हरसंभव साथ दिया, जिससे सूरज का हौसला बना रहा.
JPSC इंटरव्यू में चौंक गए बोर्ड के सदस्य
सूरज ने जब जेपीएससी इंटरव्यू के दौरान बताया कि वे डिलीवरी बॉय का काम करते हैं, तो बोर्ड के सदस्य हैरान रह गए. उन्हें पहली बार लगा कि शायद सूरज सहानुभूति पाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन जब बोर्ड ने डिलीवरी की तकनीकी प्रक्रिया से जुड़े सवाल पूछे, तो सूरज ने सभी सवालों का सटीक जवाब दिया. इससे बोर्ड को यकीन हो गया कि सूरज ने वास्तव में जमीन से जुड़कर संघर्ष किया है.
संघर्ष बना प्रेरणा, अब मिली सफलता
सूरज की यह यात्रा न केवल मेहनत की मिसाल है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सच्ची लगन और सही दिशा में मेहनत करने से कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती. आज वे डिप्टी कलेक्टर बनकर हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं.


