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32 करोड़ के हीरे चोरी होने का मामला निकला फर्जी, मालिक ने इस वजह से खुद रची साजिश

सूरत की एक हीरा फैक्ट्री में 32 करोड़ रुपये की कथित चोरी, बीमा धोखाधड़ी निकली. मालिक देवेंद्र चौधरी ने बेटे और ड्राइवर के साथ मिलकर बीमा राशि पाने की साजिश रची. फैक्ट्री से सुरक्षा हटा दी गई थी और तिजोरी गैस कटर से काटी गई. पुलिस ने जांच के बाद मालिक समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर पूरा षड्यंत्र उजागर किया.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Surat Diamond Theft : सूरत के कापोदरा इलाके में जिस हीरा फैक्ट्री में 32 करोड़ रुपये की चोरी की खबर से सनसनी मच गई थी, वह असल में एक बीमा धोखाधड़ी की साजिश निकली. पुलिस जांच में सामने आया कि फैक्ट्री मालिक देवेंद्र चौधरी ने ही यह पूरा नाटक रचा था ताकि बीमा से मोटी रकम हासिल की जा सके. इस साजिश में उनका बेटा ईशान चौधरी और ड्राइवर विकास बिश्नोई भी शामिल था.

कर्ज में डूबा था मालिक, बनाया शातिर प्लान

पुलिस आयुक्त अनुपम सिंह गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि देवेंद्र चौधरी कोविड के बाद से करीब 25 करोड़ रुपये के कर्ज में डूबे थे. इस संकट से निकलने के लिए उन्होंने बीमा क्लेम का सहारा लेने की योजना बनाई. योजना के अनुसार, बीमा की नवीनीकरण प्रक्रिया को चोरी से कुछ ही दिन पहले पूरा किया गया, जिससे संदेह और गहरा गया.

सबूतों ने खोली पोल, CCTV हटे, फायर अलार्म बंद
चोरी का नाटक रचने से पहले फैक्ट्री से सुरक्षाकर्मी को हटा दिया गया, CCTV कैमरों की संख्या कम कर दी गई और फायर अलार्म सिस्टम को भी निष्क्रिय कर दिया गया. तिजोरी को गैस कटर से काटा गया, लेकिन न तो दरवाजों पर और न ही तालों पर किसी तरह के तोड़फोड़ के निशान थे. इन तकनीकी खामियों से पुलिस को शक हुआ और जांच की दिशा बदल दी गई.

चोरी के लिए 25 लाख की सुपारी
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने इस योजना को अंजाम देने के लिए 25 लाख रुपये की सुपारी दी थी. उसमें से 5 लाख रुपये तिजोरी में रखे गए, ताकि चोरी 'सच्ची' लगे और बीमा क्लेम मिल सके. योजना के तहत घटना के बाद ड्राइवर विकास बिश्नोई को दुबई भेजने की तैयारी भी की गई थी, जिससे वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर रह सके.

चार गिरफ्तार, साजिश का पर्दाफाश
पुलिस की तेज और गहन जांच ने इस जालसाज़ी की परतें खोल दीं. देवेंद्र चौधरी, ईशान चौधरी, विकास बिश्नोई और एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस ने कहा कि तमाम तकनीकी सबूत और घटनाक्रम की बारीकी से जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि पूरी घटना एक पूर्व-नियोजित बीमा धोखाधड़ी थी, जिसे चोरी का रूप देकर अंजाम दिया गया.

यह मामला न सिर्फ व्यापारिक नैतिकता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आर्थिक संकट में लोग कैसे कानून तोड़ने तक का जोखिम उठाने को तैयार हो जाते हैं.

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20 August 2025, 07:34 PM IST

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