चुनाव से पहले एक हुए चाचा-भतीजा, NCP में शुरू हुआ विरोध, इस नेता ने शरद पवार का साथ छोड़ थामा कांग्रेस का दामन
महाराष्ट्र में पवार परिवार की राजनीति में फिर समीकरण बदलते दिख रहे हैं. अजित पवार गुट और शरद पवार गुट की NCP ने पुणे महानगरपालिका चुनाव साथ लड़ने का फैसला किया, जिससे शरद पवार गुट में असंतोष उभर आया.

मुंबई : महाराष्ट्र की राजनीति में पवार परिवार का नाम हमेशा से प्रभावशाली रहा है और एक बार फिर यह परिवार सुर्खियों में है. इस बार वजह है राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों धड़ों का पुणे महानगरपालिका चुनाव एक साथ लड़ने का फैसला. उप मुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली NCP और शरद पवार गुट की NCP के बीच इस तालमेल को पवार परिवार में सुलह की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. लेकिन इस फैसले ने शरद पवार गुट के भीतर ही असंतोष को भी जन्म दे दिया है.
सीट बंटवारे को लेकर चर्चा हुई
प्रशांत जगताप का इस्तीफा
इस गठबंधन का सबसे बड़ा झटका शरद पवार गुट को तब लगा, जब पुणे के पूर्व महापौर और नगर इकाई के अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया. जगताप ने स्पष्ट किया कि वह अजित पवार गुट के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं. उनके अनुसार, विचारधारा से समझौता किए बिना राजनीति की जानी चाहिए. इसी असहमति के चलते उन्होंने NCP (शरदचंद्र पवार) को अलविदा कह दिया.
कांग्रेस में शामिल हुए प्रशांत जगताप
प्रशांत जगताप ने शुक्रवार को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की. उनके साथ पुणे से शरद पवार गुट के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी कांग्रेस में शामिल हुए. कांग्रेस ने इस घटनाक्रम को आगामी महानगरपालिका चुनावों से पहले पार्टी के लिए मजबूती का संकेत बताया है.
कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने जगताप का स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस वैचारिक संघर्ष की पार्टी है और शिवाजी महाराज, शाहू महाराज, महात्मा फुले और डॉ. आंबेडकर की विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आज के दौर में कई लोग “चढ़ते सूरज को नमस्कार” करते हैं, लेकिन प्रशांत जगताप ने वैचारिक आधार पर कांग्रेस को चुना है.
कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने भी इस मौके पर बयान देते हुए कहा कि जगताप ने सांप्रदायिक ताकतों के साथ जाने से इनकार किया और अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया. उनका कहना था कि यदि ऐसे नेता कांग्रेस के साथ खड़े रहते हैं, तो 2029 का राजनीतिक परिदृश्य पूरी तरह बदल सकता है.
प्रशांत जगताप का पक्ष
कांग्रेस में शामिल होने के बाद प्रशांत जगताप ने कहा कि कांग्रेस 135 साल पुराना संगठन है, जिसकी वैचारिक नींव बेहद मजबूत है. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई जातिवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ है और मौजूदा समय में केवल कांग्रेस ही भाजपा को प्रभावी चुनौती दे सकती है. उन्होंने दो टूक कहा कि विचारधारा से कोई समझौता संभव नहीं है.
महाराष्ट्र की राजनीति पर असर
NCP के दोनों गुटों के एक साथ आने और इसके विरोध में हुए इस्तीफों ने यह साफ कर दिया है कि महाराष्ट्र की राजनीति में आने वाले समय में और बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. पुणे और पिंपरी-चिंचवड जैसे अहम शहरी क्षेत्रों में यह गठबंधन और टूट, दोनों ही समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सियासी घटनाक्रम आगामी महानगरपालिका चुनावों और 2029 की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है.


