मेरा समय बर्बाद कर रहे, बाहर जाइए...पदभार संभालते ही मंत्रा दफ्तर में लोगों पर भड़के उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश
बिहार में मंत्री बने दीपक प्रकाश कुशवाहा पहले ही दिन विवादों में घिर गए. पंचायती राज मंत्रालय का पदभार संभालते समय उनका लोगों को “समय बर्बाद न करें” कहना चर्चा का विषय बन गया. बिना चुनाव लड़े मंत्री बनाए जाने पर पहले से सवाल थे.

बिहार : बिहार में नई नीतीश कुमार सरकार के गठन के बाद कैबिनेट में शामिल हुए रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश कुशवाहा को लेकर पहला ही दिन विवादों से घिर गया. जैसे ही उन्होंने पंचायती राज मंत्रालय का चार्ज लेने के लिए दफ्तर पहुंचकर लोगों से मुलाकात की, उनके बातचीत के लहजे को लेकर सवाल उठने लगे. सामने आए वीडियो में वे लोगों से कहते दिखे कि वे उनका समय बर्बाद कर रहे हैं और बाहर चले जाएं. इस प्रतिक्रिया ने राजनीतिक और सोशल मीडिया दोनों जगह हलचल पैदा कर दी.
दीपक प्रकाश जब अपने मंत्रालय में कदम रखने पहुंचे तो उनका कैजुअल पैंट-शर्ट लुक भी चर्चा का विषय बन गया. आमतौर पर मंत्री पद की जिम्मेदारी ग्रहण करते समय नेताओं का पारंपरिक परिधान दिखाई देता है, लेकिन दीपक का यह अंदाज सबका ध्यान खींच गया. इसी दौरान उनके संवाद शैली ने विवाद को और बढ़ा दिया, क्योंकि जिनसे वे बात कर रहे थे वे या तो पत्रकार थे या समर्थक, जो उनसे मुलाकात करना चाहते थे. लोगों को यह व्यवहार अहंकारपूर्ण और पद की गरिमा के विपरीत लगा.
मंत्री बनते ही दीपक प्रकाश बातचीत करने गए लोगों को हड़का दिए. @UpendraKushRLM #viralvideo pic.twitter.com/Wfy6RRwF4j
— Nishant Kumar Ojha (@journanishant) November 22, 2025
बिना चुनाव लड़े मंत्री बनने परपहले से ही चर्चा
दीपक प्रकाश कुशवाहा नीतीश कैबिनेट के उन चेहरों में शामिल हैं जो बिना चुनाव लड़े ही मंत्री बनाए गए हैं. वे न विधायक हैं और न ही विधान परिषद के सदस्य, लिहाजा उन्हें छह महीने के भीतर किसी एक सदन की सदस्यता लेनी आवश्यक होगी. उनके मंत्री बनने को लेकर पहले ही भाई-भतीजावाद के आरोप लग रहे थे, ऐसे में पहला ही दिन विवादों से घिर जाना और ज्यादा सवाल खड़े कर गया. उनकी मां स्नेहलता सासाराम सीट से विजेता विधायिका हैं और पिता उपेंद्र कुशवाहा बिहार की राजनीति में बड़ा चेहरा हैं.
सिक्किम विश्वविधालय से हासिल की डिग्री
1989 में जन्मे दीपक प्रकाश विदेश से पढ़ाई करके लौटे और साल 2011 में सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने निजी क्षेत्र में नौकरी भी की. राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से होने के कारण दीपक का राजनीति में प्रवेश पहले से ही तय माना जा रहा था, लेकिन सीधे मंत्री पद मिलने से उनकी यात्रा और खास हो गई है.
बेटे को लेकर बोले उपेंद्र कुशवाहा
अपने बेटे को मंत्री बनाए जाने को लेकर आलोचनाओं का जवाब देते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि यह निर्णय पार्टी के अस्तित्व को बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा था. उन्होंने साफ कहा कि राजनीति में कई फैसले मजबूरी और बड़े लक्ष्य को ध्यान में रखकर लेने पड़ते हैं. समुद्र मंथन की उपमा देते हुए उन्होंने कहा कि अमृत के साथ विष भी निकलता है और यह फैसला उनके लिए उसी ‘विषपान’ जैसा था. भाई-भतीजावाद के आरोपों को स्वीकारते हुए भी उन्होंने इस निर्णय को आवश्यक बताया.


