सियासत में सबसे बड़ा रीयूनियन! उद्धव ठाकरे बोले- 'हम साथ रहने के लिए साथ आए'
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दो दशक की राजनीतिक दूरी मिटाकर एक मंच पर नजर आए. आवाज मराठिचा रैली में दोनों नेताओं ने मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए साथ आने का ऐलान किया, जिसे महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है.

Uddhav Thackeray Raj Thackeray: महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब दो दशकों से अलग चल रहे ठाकरे परिवार के दो दिग्गज नेता शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे साथ मंच पर नजर आए. यह दृश्य न केवल भावनात्मक था, बल्कि मराठी अस्मिता और एकता का सशक्त संदेश भी दे गया.
आवाज मराठिचा नाम की इस संयुक्त विजय समारोह में दोनों नेताओं ने मराठी भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए एकजुट होने की घोषणा की. कार्यक्रम का आयोजन हिंदी को तीसरी वैकल्पिक भाषा से हटाने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले के स्वागत में किया गया था. हज़ारों की संख्या में मराठी समर्थक इस ऐतिहासिक मिलन के गवाह बने.
VIDEO | Mumbai, Maharashtra: "We have come together to stay together," says Shiv Sena (UBT) chief Uddhav Thackeray (@uddhavthackeray) at joint rally with MNS chief Raj Thackeray.#MaharashtraPolitics #MaharashtraNews
(Full video available on PTI Videos -… pic.twitter.com/vivcHIbafw— Press Trust of India (@PTI_News) July 5, 2025
"साथ आए हैं, साथ ही रहेंगे": उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, "हम साथ आए हैं और साथ ही रहेंगे... हमने मराठी की रक्षा के लिए एकजुटता दिखाई है." उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा, "मैं आप सभी से कहना चाहता हूं कि यह तो सिर्फ ट्रेलर है, असली फिल्म तो अब शुरू हुई है."
दोनों भाइयों की इस मुलाकात को महाराष्ट्र में मराठी भाषियों की एकता का प्रतीक बताया जा रहा है. उद्धव का यह बयान आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति को एक नई दिशा दे सकता है.
राज ठाकरे ने फडणवीस पर किया तंज
इस कार्यक्रम में पहले एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने मंच संभाला और एक चौंकाने वाला बयान दिया. उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री फडणवीस ने वो कर दिखाया जो बाला साहेब ठाकरे भी नहीं कर पाए मुझे और उद्धव को एक कर दिया."
राज ठाकरे के इस बयान को राजनीतिक हलकों में कई तरह से देखा जा रहा है. एक ओर जहां यह मुख्यमंत्री पर तंज माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे ठाकरे भाइयों के मिलन का अहम कारण भी बताया जा रहा है.
एनएससीआई डोम बना मराठी एकता का गवाह
मुंबई के वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में आयोजित इस कार्यक्रम में भारी जनसमूह उमड़ा. दोनों दलों के समर्थकों की मौजूदगी ने कार्यक्रम को अभूतपूर्व बना दिया. यह दृश्य महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में पहली बार देखा गया, जब ठाकरे परिवार के दोनों राजनीतिक धड़े एक मंच पर नजर आए.
यह रैली 'मराठी एकता की जीत' के रूप में आयोजित की गई और इसे महाराष्ट्र की बदलती राजनीतिक तस्वीर में संभावित भूचाल की शुरुआत माना जा रहा है.
आने वाले दिनों में बढ़ेगी हलचल?
ठाकरे भाइयों की यह नजदीकी राज्य की राजनीति में नए समीकरण बना सकती है. जहां एक ओर भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है, वहीं कांग्रेस और एनसीपी जैसे सहयोगी दलों के लिए भी यह एक संदेश है कि उद्धव अब अपनी सियासी जमीन और मजबूत करना चाहते हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह एकजुटता चुनाव तक बनी रहती है, तो यह मराठी वोट बैंक को एकजुट कर सकती है और विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.