महाराष्ट्र की सियासत में साथ आएंगे 'भाई'! उद्धव और राज ठाकरे की नजदीकियों पर क्या बोले संजय राउत?
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच हालिया संवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है. बीएमसी चुनाव से पहले दोनों नेताओं का संभावित साथ आना बड़ा सियासी बदलाव ला सकता है.

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से बड़ा बदलाव देखने को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. सालों से अलग राहों पर चल रहे ठाकरे बंधु- उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे अब एक साथ आने की संभावनाओं को लेकर चर्चा में हैं. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच हाल ही में हुए संवाद ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है.
'गठबंधन नहीं, सिर्फ भावनात्मक बातचीत'- संजय राउत
हालांकि, शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अब तक कोई गठबंधन नहीं हुआ है. राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे भाई हैं और सालों से साथ रहे हैं. हमारे संबंध कभी टूटे नहीं. ये सिर्फ भावनात्मक बातचीत है. आगे क्या होगा, इसका फैसला दोनों नेता मिलकर लेंगे.
'जो खुद को महाराष्ट्र का शुभचिंतक बताते हैं, उन्होंने...'
संजय राउत ने बिना किसी पार्टी का नाम लिए बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि कुछ दल जो खुद को महाराष्ट्र का शुभचिंतक बताते हैं, उन्होंने ही बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को तोड़कर महाराष्ट्र के स्वाभिमान पर हमला किया है. उन्होंने उद्धव ठाकरे का हवाला देते हुए कहा कि उद्धव जी ने कहा है कि जो लोग खुद को महाराष्ट्र का शुभचिंतक बताते हैं, उन्होंने ही बालासाहेब की शिवसेना को तोड़ा है. ऐसे दलों से किसी भी प्रकार का संबंध नहीं होना चाहिए. तभी हम सच्चे महाराष्ट्रियन बन सकते हैं. ये कोई शर्त नहीं बल्कि महाराष्ट्र के लोगों की भावना है.
बीएमसी चुनाव से पहले राजनीति में हलचल
आपको बता दें कि राज ठाकरे ने सालों पहले शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का गठन किया था. अब जब देश की सबसे बड़ी नगर निगम- बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) के चुनाव करीब हैं, ऐसे में ठाकरे बंधुओं के संभावित एकजुट होने की चर्चा तेज हो गई है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अगर दोनों दल साथ आते हैं, तो ये महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है. अब सभी की नजरें इसी बात पर टिकी हैं कि क्या ये भावनात्मक बातचीत भविष्य में राजनीतिक गठबंधन का रूप लेगी या फिर यहीं थम जाएगी. खैर, अब ये तो वक्त ही बताएगा.


