महाकुंभ भगदड़ हादसा है या साजिश? STF-ATS ने क्यों बदला जांच का एंगल?
महाकुंभ में भगदड़ को अब तक एक दुर्भाग्यापूर्ण हादसा माना जा रहा था, लेकिन एसटीएफ और एटीएस की जांच में नए सवाल खड़े कर दिए हैं. जांच एजेंसियों ने अब इसे संभावित साजिश के रूप में देखते हुए नए सिरे से जांच शुरू की है. खूफिया रिपोर्ट्स और कुछ संदिग्ध सुरागों के आधार पर जांच का एंगल बदल गया है. क्या यह महज भीड़ प्रबंधन की विफलता थी या इसके पीछे कोई गहरी साजिश छिपी थी?

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जारी महाकुंभ में हर दिन लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. इस धार्मिक आयोजन में देश-विदेश से लोग शामिल होते हैं. योगी सरकार ने महाकुंभ के लिए कड़ी सुरक्षा और व्यवस्था की योजना बनाई थी, लेकिन मौनी अमावस्या के दिन हुए दूसरे अमृत स्नान में भगदड़ मचने से 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और लगभग 60 लोग घायल हो गए.
ज्यादा श्रद्धालु होने से हुआ हादसा
हादसे के पीछे का कारण बताया जा रहा है कि महाकुंभ में सरकार की उम्मीद से कहीं ज्यादा श्रद्धालु पहुंच गए थे, जिससे भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई. फिलहाल, हादसे की जांच चल रही है और इसमें एक नया एंगल सामने आ रहा है. जांच एजेंसियां इसे अब साजिश का मामला मानकर देख रही हैं.
संदिग्धों की तलाश में जांच एजेंसी
जांच के दौरान AI कैमरों में सैकड़ों संदिग्धों के फुटेज मिले हैं, जो भगदड़ के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. STF और ATS मामले की जांच कर रही हैं. ADG कानून-व्यवस्था अमिताभ यश और STF चीफ प्रयागराज में कैंप कर रहे हैं. इसके अलावा, महाकुंभ में रेहड़ी लगाने वालों, पूजन सामग्री, चूड़ी आदि बेचने वालों से भी पूछताछ की जा रही है, ताकि किसी अहम सुराग का पता चल सके.
युवाओं के समूह का संदिग्ध व्यवहार
घटना के बाद, पीड़ितों और प्रत्यक्षदर्शियों ने बयान दिया है कि युवाओं के एक समूह ने उन्हें लगातार धक्का दिया, जिसके कारण भगदड़ की स्थिति पैदा हुई. लोग खुद को बचाने के लिए आगे वालों को धक्का मारने लगे. जांच एजेंसियां अब CCTV फुटेज खंगाल रही हैं और उन युवकों को चिन्हित कर रही हैं जिन्हें इस घटना का जिम्मेदार माना जा सकता है. इसके साथ ही आसपास के क्षेत्रों के ड्रोन कैमरे और अन्य रिकॉर्डिंग्स भी जांचे जा रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार
महाकुंभ भगदड़ मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. CJI ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की सलाह दी, क्योंकि इस मसले पर पहले से याचिका पेंडिंग है. यूपी सरकार ने बताया कि इस घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया है.


