OpenAI को बड़ा झटका, Windsurf के CEO वरुण मोहन अब Google DeepMind से जुड़े
Windsurf के CEO वरुण मोहन और को-फाउंडर डगलस चेन अब Google DeepMind टीम में शामिल हो गए हैं. ये कदम OpenAI के साथ $3 बिलियन की डील टूटने के बाद सामने आया है. Google ने Windsurf की टेक्नोलॉजी का लाइसेंस लिया है, जिससे AI कोडिंग में नई बढ़त मिलेगी.

AI और टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. Google की पेरेंट कंपनी Alphabet ने AI कोडिंग स्टार्टअप Windsurf से न केवल उनकी अत्याधुनिक कोडिंग टेक्नोलॉजी का लाइसेंस हासिल किया है, बल्कि स्टार्टअप के CEO वरुण मोहन और को-फाउंडर डगलस चेन को भी अपनी AI यूनिट DeepMind में शामिल कर लिया है. यह डील खास इसलिए भी बनती है क्योंकि Windsurf को लेकर पहले OpenAI करीब $3 बिलियन की डील करने की योजना बना रहा था, जो बाद में टूट गई.
Windsurf और OpenAI के बीच बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी थी. OpenAI इस टेक्नोलॉजी को खरीदना चाहता था, लेकिन उसके सबसे बड़े निवेशक Microsoft के साथ मतभेद डील के टूटने का कारण बने. दरअसल, OpenAI नहीं चाहता था कि Microsoft को Windsurf की तकनीक तक पहुंच मिले, जबकि OpenAI को Microsoft को अपने अधिकतर टेक्निकल रिसोर्सेज साझा करने पड़ते हैं. जब तक डील एक्सक्लूसिव थी, Windsurf ने किसी और से बात नहीं की, लेकिन एक्सक्लूसिविटी खत्म होने के बाद उन्होंने Google से बात शुरू की.
अब Windsurf की टीम कहां काम करेगी?
Google ने Windsurf की कोर टेक्नोलॉजी का लाइसेंस लेने के साथ ही इसके संस्थापक और टॉप इंजीनियरिंग टीम को DeepMind में शामिल कर लिया है. Google के प्रवक्ता Chris Pappas ने पुष्टि की कि वे अपनी AI रणनीति, खासकर Gemini AI मॉडल, को और मजबूत बनाने के लिए लगातार इन्वेस्ट कर रहे हैं और Windsurf की टीम से जुड़कर बेहद उत्साहित हैं.
Windsurf क्यों है खास?
Windsurf की शुरुआत 2021 में हुई थी और यह एक AI कोडिंग असिस्टेंट स्टार्टअप है जो डेवलपर्स को नेचुरल लैंग्वेज के माध्यम से कोड लिखने में मदद करता है. अब तक इसने $200 मिलियन की फंडिंग जुटाई है और यह स्टार्टअप Greenoaks Capital Partners और AIX Ventures जैसे निवेशकों से समर्थन प्राप्त कर चुका है.
Google को क्या फायदा?
DeepMind पहले से ही AI इनोवेशन में अग्रणी है और Gemini जैसे मॉडल्स पर काम कर रहा है. Windsurf की टेक्नोलॉजी और टैलेंट टीम से जुड़ने से Google को agentic coding यानी AI द्वारा स्वतः कोड जनरेट करने की दिशा में महत्वपूर्ण बढ़त मिलेगी. यह डील सीधे तौर पर Google को OpenAI और Microsoft जैसे AI दिग्गजों को चुनौती देने की स्थिति में ला देती है.


