ITR Filing: टैक्स भरने में हो रही है मुश्किल? ये मोबाइल ऐप बनाएगा सब आसान
केंद्र सरकार ने ITR फाइलिंग की डेडलाइन 15 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी है और टैक्सपेयर्स की सुविधा के लिए ‘AIS ऐप’ और ‘इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐप’ लॉन्च किए हैं.

ITR Filing 2025: केंद्र सरकार ने आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर अब 15 सितंबर 2025 कर दिया है. यानी टैक्सपेयर्स के पास रिटर्न फाइल करने के लिए अब 10 दिन से भी कम समय बचा है. ऐसे में आयकर विभाग ने टैक्सपेयर्स की सुविधा के लिए दो खास मोबाइल ऐप जारी किए हैं, जिनकी मदद से घर बैठे मोबाइल से ही आसानी से रिटर्न भरा जा सकेगा.
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए टैक्सपेयर्स अब ‘AIS ऐप’ और ‘इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐप’ का इस्तेमाल कर सकते हैं. इन ऐप्स को खासतौर पर नौकरीपेशा लोगों, पेंशनर्स और छोटे टैक्सपेयर्स के लिए तैयार किया गया है, ताकि उन्हें डेस्कटॉप या बिचौलियों पर निर्भर ना रहना पड़े. ये ऐप फाइलिंग को तेज, आसान और सुरक्षित बनाने के लिए डिजाइन किए गए हैं.
कैसे करेंगे ऐप्स मदद?
1. लॉगिन और एक्सेस
टैक्सपेयर्स अपने आधार आईडी, पैन और पासवर्ड डालकर इन ऐप्स में आसानी से लॉगिन कर सकते हैं.
2. पहले से भरा डेटा उपलब्ध
लॉगिन के बाद टैक्सपेयर्स को ऐप में ही एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और टैक्सपेयर इंफॉर्मेशन समरी (TIS) का डेटा उपलब्ध हो जाता है. इसमें कंपनी, बैंक और म्यूचुअल फंड जैसी संस्थाओं से पहले से भरा हुआ डेटा शामिल होता है, जिससे मैन्युअल एंट्री कम करनी पड़ती है.
3. सही ITR फॉर्म का चुनाव
ये ऐप करदाता की आय प्रोफाइल जैसे सैलरी, पेंशन, कैपिटल गेन या अन्य इनकम के आधार पर सही ITR फॉर्म चुनने में मदद करते हैं.
4. डिटेल एड या सुधार
अगर कोई डेटा गलत है या छूट गया है, तो उसे मैन्युअली एड या ठीक किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, फिक्स्ड डिपॉजिट का ब्याज या किराए की आय टैक्सपेयर को खुद भरनी पड़ सकती है.
5. ई-वेरिफिकेशन और सबमिशन
रिटर्न भरने के बाद करदाता इसे आधार OTP, नेट बैंकिंग या डिजिटल सिग्नेचर के जरिए ई-वेरिफाई कर सकते हैं. इसके बाद रिटर्न तुरंत सबमिट हो जाता है.
क्यों खास हैं ये मोबाइल ऐप्स?
ये दोनों ऐप्स टैक्सपेयर्स को बिना किसी बिचौलिए की मदद के, सिर्फ मोबाइल फोन से ही सुरक्षित और आसान तरीके से ITR फाइल करने की सुविधा देते हैं. खासतौर पर नौकरीपेशा और पेंशनर्स के लिए ये काफी उपयोगी साबित होंगे, क्योंकि इन्हें जटिल तकनीकी प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ेगा.


