आपूर्ति करो बहाल, नहीं तो नौकरी से धोना पड़ेगा हाथ...गूगल में छाया मेमोरी चिप का संकट! कंपनी ने कर्मचारियों को दिया अल्टीमेटम
एआई हार्डवेयर की तेज़ मांग से दुनिया गंभीर मेमोरी चिप संकट में फंस गई है. सीमित सप्लायर होने के कारण गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां दबाव में हैं और एशिया में सीधे आपूर्ति सुरक्षित करने की कोशिश कर रही हैं.

नई दिल्लीः दुनिया की टेक इंडस्ट्री इस समय अभूतपूर्व मेमोरी चिप संकट से जूझ रही है. हालात इतने गंभीर हैं कि दिग्गज टेक कंपनियां भी किसी भी कीमत पर जरूरी चिप्स हासिल करने के लिए असाधारण कदम उठा रही हैं. इस संकट की जड़ में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हार्डवेयर की तेज़ी से बढ़ती मांग है, जिसने वैश्विक सप्लाई चेन पर जबरदस्त दबाव बना दिया है.
एआई बूम बना मेमोरी संकट की वजह
जैसे-जैसे एआई मॉडल अधिक जटिल और शक्तिशाली हो रहे हैं, उन्हें चलाने के लिए हाई-बैंडविड्थ मेमोरी (HBM), डीआरएएम और एंटरप्राइज सॉलिड-स्टेट ड्राइव (eSSD) जैसी अत्याधुनिक मेमोरी चिप्स की जरूरत बढ़ गई है. इन चिप्स के बिना बड़े पैमाने पर एआई एक्सेलेरेटर और हाइपरस्केल डेटा सेंटर प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकते. यही वजह है कि इनकी मांग अचानक आसमान छूने लगी है.
गूगल में आंतरिक उथल-पुथल
दक्षिण कोरिया के सियोल इकोनॉमिक डेली की रिपोर्ट के मुताबिक, मेमोरी संकट का असर गूगल के भीतर तक देखने को मिला है. खबर है कि कंपनी ने दक्षिण कोरिया में एचबीएम की सोर्सिंग की जिम्मेदारी संभाल रहे कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को हटा दिया है. आरोप है कि ये अधिकारी समय रहते लंबी अवधि के सप्लाई समझौते करने में नाकाम रहे, जिससे कंपनी को अतिरिक्त मेमोरी हासिल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
सीमित सप्लायर, बढ़ती निर्भरता
असल चुनौती यह है कि दुनिया भर में उन्नत मेमोरी चिप्स बनाने की क्षमता सिर्फ गिनी-चुनी कंपनियों के पास है. फिलहाल एसके हाइनिक्स, सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स और माइक्रोन ही ऐसी कंपनियां हैं, जो अत्याधुनिक एचबीएम का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर सकती हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन कंपनियों की आने वाले साल की उत्पादन क्षमता पहले ही पूरी तरह बुक हो चुकी है, जिससे देर से ऑर्डर देने वालों के लिए विकल्प बेहद सीमित रह गए हैं.
माइक्रोसॉफ्ट भी दबाव में
गूगल ही नहीं, माइक्रोसॉफ्ट भी इसी संकट से जूझ रहा है. बताया जा रहा है कि माइक्रोसॉफ्ट के वरिष्ठ अधिकारी सीधे कोरिया जाकर सेमीकंडक्टर निर्माताओं से बातचीत कर रहे हैं. हालांकि, ये बातचीत आसान नहीं रही. उद्योग सूत्रों के अनुसार, सप्लायर माइक्रोसॉफ्ट की शर्तों पर आपूर्ति करने में असमर्थता जता चुके हैं, जिससे बैठकों में तनाव की स्थिति बन गई.
कोरिया बना रणनीतिक केंद्र
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी कंपनियां अब खरीद प्रबंधन अमेरिका से करने के बजाय एशिया में ही अपने अधिकारी तैनात कर रही हैं. कोरिया, ताइवान और सिंगापुर जैसे देशों में सीधे मौजूद रहकर कंपनियां सप्लायर से बेहतर तालमेल और तेज़ फैसले लेना चाहती हैं, ताकि आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े जोखिम कम किए जा सकें.
गलत अनुमान पड़ा भारी
गूगल के मामले में बताया जा रहा है कि कंपनी अपनी टेंसर प्रोसेसिंग यूनिट्स के लिए बड़ी मात्रा में एचबीएम सैमसंग से लेती है. लेकिन जब एआई की मांग उम्मीद से कहीं ज़्यादा बढ़ गई, तो अतिरिक्त सप्लाई के लिए किए गए प्रयास नाकाम रहे. इसके बाद प्रबंधन ने आंतरिक स्तर पर यह माना कि भविष्य की मांग का सही अनुमान न लगा पाना एक बड़ी चूक थी.
आगे क्या?
मेमोरी चिप संकट ने साफ कर दिया है कि एआई की दौड़ में हार्डवेयर सप्लाई सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण मोर्चा बन चुका है. आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि टेक कंपनियां अपनी सप्लाई रणनीतियों को कितना मजबूत बना पाती हैं और क्या नए निर्माता इस सीमित बाजार में एंट्री कर पाते हैं या नहीं.


