जेल में ही रहकर इस कैदी ने की IAS परीक्षा पास और बन गया अफसर, जानिए इसकी दिलचस्प कहानी
तिहाड़ जेल में सजा काट रहे कैदी को मिली थी उम्र कैद की सजा, दिन रात एक करके दिलों जान से की IAS बनने की तैयारी और बन गया IAS अफसर।

ऐसे कुछ ही लोग होंगे जो भारत की जेलों के बारे में नहीं जानते होंगे। लोग सोचते हैं की जेल में कैदियों के साथ बहुत ही बुरा सुलूक किया जाता है। हालांकि ऐसी कई जेल मौजूद भी हैं जहाँ कैदियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाती है और उसके जुर्म के अनुसार उसके साथ कार्यवाही की जाती है। यह भी बात सत्य है की जेल बनाने के पीछे उसकी यह मंशा होती है की कैदियों को चार दीवारी के अंदर ही बंद रखा जाये और वह अपनी सजा में यह सोचने पर मजबूर हो जाये की आखिर उसने ऐसा गलत काम करने की सोची भी कैसे जो आज जेल की सलाखों के पीछे है नार वह सुधर जाये। लेकिन अब अधिकतर जेलों में ऐसा कम ही देखने को मिलता है। वो कहते हैं न की लोग चाहे चार दीवारी के अंदर क्यों न हो यदि उसको उसकी जरूरत की हर चीज़ उपलब्ध हो रही हो तो वह सजा भी कठिन नहीं होती।
वैसे तो जेल में बंद कैदी कई तरह के होते हैं जो अपने अलग - अलग संगीन जुर्मों की सजा काट ते हैं। इसमें कुछ क़ैदी अपने हालातों की वजह से होते हैं तो कुछ अपने जानबूझकर किये गलत कामों में। तो वहीँ कुछ कैदी अपने जीवन को सुधारने की कोशिश में लगे रहते हैं। ऐसा ही एक कमाल किस्सा सुनने को मिल रहा है। जिसे सुनकर आपको लगेगा की यह तो किसी फिल्म की कहानी की तरह लगता है।
जानिए पूरी कहानी
आज से कई साल पहले की बात है, यह बात है दिल्ली साल 2003 की जहाँ एक 21 साल की लड़की जिसका नाम सुनिता था वह उस समय एक कॉम्पीटशन की तैयारी कर रही थी। सुनिता ने मेंस की परीक्षा भी दी थी लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति के चलते उसका यह कोर्स पीछे ही रह गया और उसकी यह तैयारी पूरी न सकी। इस समय वह एक इंस्टिट्यूट में पढ़ने जाया करती थी। जहाँ एक टीचर पढ़ाया करते थे जिनका नाम अमित उर्फ़ अशोक राय था। आमतौर पर उनको सभी अशोक राय के नाम से ही बुलाया करते थे। सुनिता भी उन्हीं से पढ़ती थी। सुनीता का कोर्स काफी पीछे होने के कारण उसने अपने टीचर अशोक से कहा की मेरा कोर्स काफी पीछे रह गया है आप मुझे कुछ टाइम देकर और पढ़ा सकते हैं। जिसपर अशोक ने पढ़ाने के लिए हामी भर दी थी।
उसके बाद से सुनिता अपने टीचर अशोक के पास केमेस्ट्री पढ़ने के लिए अलग से भी जाने लगी थी। कुछ समय ऐसा ही बीतता रहा जिस बीच टीचर अशोक और सुनिता के बीच नज़दीकियां बढ़ने लगी थी। यह बात है 14 अप्रैल 2003 रात 11 बजे की जहाँ सुनिता की तबियत बहुत ज़्यादा बिगड़ गयी थी। जिसके बाद सुनिता का भाई उसे तत्काल ही हॉस्पिटल लेकर चला गया था। इस हड़बड़ी के चलते सुनिता ने अपने भाई को बताया की उसने सल्फास की गोली खा ली है। सुनिता दो दिनों तक ज़िंदगी और मौत के बीच जूझती रही और अपना दम तोड़ दिया। सुनिता की मौत के बाद उसके भाई ने बताया की सुनिता ने मरने से पहले एक शख्स का नाम बताया था, वह नाम था अमित।
सुनिता ने सुसाइड नोट पर अमित उर्फ़ अशोक को ठहराया था अपनी मौत का जिम्मेदार
सुनिता की मौत के बाद जब पुलिस उसके घर गयी तो उन्हें सुनिता से लिखा हुआ उसका सुसाइड नोट मिला। जिसमें उसने लिखा था - वह अमित के पास केमेस्ट्री पढ़ने जाती थी। धीरे - धीरे हम दोनों दोस्त बन गए। मुझे लगने लगा था की अमित भी मुझसे प्यार करता है और शादी भी करेगा। इसलिए दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गया था। हम दोनों के बीच रिलेशन था और पढ़ाई भी अच्छी चल रही थी। लेकिन मुझे एहसास हुआ की अमित मुझसे शादी नहीं करेगा एक दिन अमित ने मुझसे कहा की मेरा एक दोस्त है जिसके साथ तुम्हें फिजिकल रिलेशन बनाना है, यह सुनते ही मैं हैरान हो गयी और मेरा दिल बुरी तरह से टूट गया। परिवार बेज़्ज़ती न हो और अमित के शादी से पीछे हटने से मुझे यह दुःख इतना सताने बर्दाश्त से बाहर हो गया। जिसके बाद सुनीता को सुसाइड करने के आलावा कोई और रास्ता नहीं सूझा। यही नहीं सुनिता ने अपनी मौत का जिम्मेदार अमित उर्फ़ अशोक को ठहराया था।
इस सुसाइड नोट मिलने के बाद पुलिस ने अमित के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। जिसके बाद उसको गिरफ्तार किया गया और लोअर कोर्ट में अमित को दोषी करार दिया गया जिसके उसको तिहाड़ जेल में भेजा गया। आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए कोर्ट ने अमित को 10 साल की सजा सुनाई और रेप के लिए उम्र कैद। दूसरी तरफ अमित ने लोअर कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट में चैलेंज किया था।
शख्स ने जेल में की UPSC की तैयारी
अमित ने कोर्ट में कहा था की उसने सुनिता के साथ कोई जबरदस्ती नहीं की थी। जो भी हुआ दोनों की सहमति से हुआ था और दोस्त के साथ शारीरिक संबंध बनाने वाली बात भी सुनिता ने झूठ बताई है। लेकिन कोर्ट ने अमित की बात नहीं सुनी और उसको सज़ा के चलते तिहाड़ जेल भेज दिया। यह मामला हाई कोर्ट तक गया। जेल में रहकर अमित ने UPSC की तैयारी करने की ठान ली। वह सारा - सारा दिन जेल की लाइब्रेरी में पढ़ता रहता था। जब जेल के पुलिसकर्मियों ने यह देखा की अमित पूरा - पूरा दिन किताबों में घुसा रहता है और बाकि कैदियों से भी अलग है तो उन्होंने उसके लिए पढ़ने को और किताबे लाकर दी। वह दिन रात एक करके पड़ता रहा। यही नहीं जेल के सभी लोगों ने उसकी मदद की और उसने 5 साल की कड़ी मेहनत के बाद साल 2008 में UPSC का एग्जाम दिया और प्री क्लियर कर मेंस भी किया और बाद में इंटरव्यू क्रैक कर साल 2009 में रिजल्ट आया और अमित ने अच्छी रैंक हासिल कर ली। अमित को IAS ज्वाइन करने का मौका मिला था। जब यह खबर तिहाड़ जेल में सभी अफसरों तक पहुँची तो सभी खुश हो गए। ऐसा पहली बार हुआ था जो कैदी भारत के सबसे मुश्किल एग्जाम को पास कर गया।

हाई कोर्ट ने शख्स को सुनाया अपना फैसला
अभी भी अमित जेल में अपनी सजा काट रहा था, लेकिन तिहाड़ जेल और दिल्ली की सरकार ने अमित की मदद करने के लिए कदम उठाया। हाई कोर्ट में बताया की अमित ने 5 साल की सजा काटी है और इस दौरान उसने जेल में ही रहकर पढ़ाई कर IAS की परीक्षा भी पास की है। यह बाकि कैदियों के लिए एक उदाहरण है जो अपनी ज़िंदगी को बदल सकते हैं। इस सब दलीलों और अमित के सजा को देखने के बाद हाई कोर्ट ने कहा - की अमित 5 साल की सजा काट चुका है वह अब आगे की सजा काटने का हक़दार नहीं। इसलिए उसे रिहा कर दिया जाता है और इसके बाद अमित ने जेल से छूटने के बाद IAS की ट्रेनिंग ली और बन गया IAS अफसर।


