विदेशी बच्ची ने गाई भारतीय कविता! कन्नड़ में दोस्त संग मिलाया सुर, वायरल हुआ वीडियो
बेंगलुरु में एक रूसी बच्ची द्वारा भारतीय दोस्त संग कन्नड़ कविता गाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जो सांस्कृतिक मेल और मासूम दोस्ती का सुंदर उदाहरण बना.

Bangalore viral video: बेंगलुरु से एक दिल छू लेने वाला वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर छाया हुआ है, जिसमें एक रूसी बच्ची अपनी भारतीय सहपाठी के साथ कन्नड़ भाषा की प्रसिद्ध कविता 'बन्नादा हक्की' गा रही है. ये दृश्य लोगों को ना सिर्फ भावुक कर रहा है, बल्कि ये दोस्ती, सांस्कृतिक मेल और भाषाई अपनापन का खूबसूरत उदाहरण भी बन गया है.
इस वीडियो को रूसी बच्ची की मां ने इंस्टाग्राम पर साझा किया था, जहां से ये वायरल हो गया. वीडियो में दोनों बच्चियां साइकिल चलाते हुए सुर में सुर मिलाकर कविता गा रही हैं, जिसका हिंदी में अर्थ है रंग-बिरंगा पक्षी. ये मासूम क्षण इंटरनेट पर लाखों दिलों को छू रहा है.
भारत में तीन साल से रह रहा है रूसी परिवार
रूसी परिवार साल 2022 में भारत आया था और तब से बेंगलुरु में रह रहा है. वहीं से रूसी बच्ची की दोस्ती एक स्थानीय भारतीय बच्ची से हुई. दोनों अब एक ही स्कूल में पढ़ती हैं और एक-दूसरे की संस्कृति में गहरी रुचि रखती हैं. इंस्टाग्राम पर शेयर की गई एक पुरानी पोस्ट में लिखा गया- भारत में 3 साल... दोस्त और सहपाठी... दोस्ती के 3 साल — ये कैप्शन बच्चों की मासूम दोस्ती और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की गहराई को दर्शाता है.
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया
जब ये वीडियो रेडिट पर दोबारा पोस्ट किया गया, तो इंटरनेट यूजर्स ने जमकर तारीफ की. एक यूजर ने लिखा- बेंगलुरु में रहने वाली एक रूसी बच्ची अपनी भारतीय दोस्त के साथ कन्नड़ कविता गा रही है. ये देखना बेहद प्यारा है. एक अन्य ने कहा- विदेशी परिवारों द्वारा स्थानीय भाषा सीखना बेहद सराहनीय है. सरकार को स्कूलों में स्थानीय भाषा सीखना अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि दूसरी पीढ़ी भी इन भाषाओं से जुड़ सके.
स्थानीय भाषाओं को लेकर नीतियों पर सवाल
कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इस मौके पर सरकार की भाषाई नीतियों की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि कन्नड़ जैसी क्षेत्रीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. लोगों का मानना है कि इस तरह के वीडियो ये दिखाते हैं कि जब बाहरी लोग भी स्थानीय भाषा सीख सकते हैं, तो नीति-निर्माताओं को भी इसे बढ़ावा देने में पीछे नहीं रहना चाहिए.


