मिल गया ब्रह्मांड का आधा लापता हिस्सा! अब खुलेंगे नए राज
वैज्ञानिकों ने दशकों से गायब माने जा रहे ब्रह्मांड के आधे हिस्से यानी 'बैरोनिक मैटर' को खोज निकाला है. यह मैटर दरअसल हाइड्रोजन गैस के रूप में हर गैलेक्सी के चारों ओर 'हेलो' जैसे ढांचे में मौजूद था, लेकिन इतना हल्का और फैला हुआ था कि टेलीस्कोप से भी नहीं दिख रहा था.

दुनियाभर के वैज्ञानिक सालों से ब्रह्मांड के उस 'गायब आधे हिस्से' की तलाश में जुटे थे, जो कभी समझ से परे था. आखिरकार, ये रहस्य भी सुलझ गया है. नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि जो मैटर दशकों से लापता माना जा रहा था, वह हमारी आंखों के सामने ही मौजूद था. बस इतने हल्के रूप में कि हम उसे देख नहीं पा रहे थे. इस खोज ने ब्रह्मांड की संरचना और उसके गहरे रहस्यों को समझने की दिशा में नई उम्मीदें जगा दी हैं.
क्या है ये 'गायब ब्रह्मांड'?
वैज्ञानिकों ने बताया है कि यह लापता हिस्सा 'बैरोनिक मैटर' है. यही वो मूलभूत तत्व है जिससे हम, हमारे ग्रह, तारे, और आकाशगंगाएं बने हैं. यानी जिस पदार्थ से पूरा भौतिक ब्रह्मांड बना है, उसका लगभग 50% हिस्सा अब तक वैज्ञानिकों की पकड़ से बाहर था.
कहां छिपा था लापता मैटर?
यह बैरोनिक मैटर दरअसल हाइड्रोजन गैस के रूप में हर गैलेक्सी के बाहर "हेलो" जैसे ढांचे में मौजूद था. यह इतना फैला हुआ और हल्का था कि टेलीस्कोप भी इसे पकड़ने में असमर्थ रहे.
क्यों नहीं दिख रहा था यह मैटर?
इस गैस को देखना आसान नहीं था क्योंकि यह आयोनिक अवस्था में है, यानी इसके कण इतने ज्यादा ऊर्जा से भरपूर हैं कि वो सामान्य प्रकाश में दिखाई नहीं देते.
कैसे खोजा गया यह 'अदृश्य ब्रह्मांड'?
वैज्ञानिकों ने इसका सुराग पाने के लिए कॉस्मिक माइक्रोवेव बैकग्राउंड यानी ब्रह्मांड की सबसे पुरानी रोशनी का इस्तेमाल किया. जब यह रोशनी गैस के बादलों से टकराती है, तो उसमें बेहद हल्का परिवर्तन आता है. यह परिवर्तन आमतौर पर दिखता नहीं, लेकिन वैज्ञानिकों ने स्टैकिंग टेक्नीक अपनाई. जिसमें लाखों ऑब्जर्वेशन को एक-दूसरे के ऊपर जमा किया गया. इससे वो गैस जो पहले अदृश्य थी, अब चमकने लगी और उसकी मौजूदगी का पता चल गया.
इस खोज से क्या फायदा होगा?
इस रिसर्च में अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी और लॉरेंस बर्कले लैब के वैज्ञानिकों ने 10 लाख रेड गैलेक्सियों का अध्ययन किया जो करीब 8 अरब प्रकाशवर्ष दूर हैं. इस खोज से अब वैज्ञानिक गैलेक्सी के निर्माण, ब्लैक होल के व्यवहार, और ब्रह्मांड की विकास प्रक्रिया को और बेहतर समझ सकेंगे. शोधकर्ताओं का कहना है, 'यह खोज ब्रह्मांड की सबसे बड़ी गुत्थियों को सुलझाने की शुरुआत है.'


