पाकिस्तानी अप्सराओं की एक ऐसी नगरी... जहां पसंदीदा मर्द के साथ भाग जाती हैं ये हसीनाएं
पाकिस्तान के कलाश घाटी में एक अनोखी संस्कृति है, जहां महिलाओं को अपनी पसंद के जीवनसाथी चुनने की पूरी आज़ादी है. यहां की महिलाएं शादी के बाद भी अगर किसी अन्य पुरुष से प्रेम करती हैं, तो वह उसके साथ भाग सकती हैं. इस परंपरा को इस क्षेत्र के लोग पूरी तरह से स्वीकार करते हैं. इन महिलाओं के लिए यह आम बात है और उनके परिवार भी इस फैसले का समर्थन करते हैं.

दुनिया में 200 से ज्यादा देश हैं, और हर एक देश में कुछ ऐसी अद्भुत परंपराएँ और विचार हैं जिन्हें सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. एक ऐसा देश है जहाँ महिलाओं की खूबसूरती न केवल देश में बल्कि दुनियाभर में चर्चा का विषय रही है. यह देश पाकिस्तान है, और यहाँ के एक खास जनजाति की महिलाएँ दुनियाभर में अपनी अद्वितीय सुंदरता के लिए जानी जाती हैं. पाकिस्तान के कालाश घाटी में बसी ये महिलाएँ न सिर्फ अपनी आकर्षकता के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि उनकी परंपराएँ भी बेहद दिलचस्प हैं.
यह जनजाति, जो खुद को 'काफिर' या 'कालाशा' कहती है, एक लंबे समय से अपनी संस्कृति और रीति-रिवाजों के लिए प्रसिद्ध रही है. पाकिस्तान के चितराल जिले में स्थित कालाश घाटी में रहने वाली इन महिलाओं के जीवन में कुछ ऐसी परंपराएँ हैं जो किसी अन्य समाज में शायद ही देखने को मिलती हैं. आइए जानते हैं इस जनजाति की खास परंपराओं के बारे में.
कालाश घाटी की महिलाओं की खूबसूरती
कालाश घाटी के निवासी, जिन्हें काफिर या कालाशा के नाम से भी जाना जाता है, अपनी अद्वितीय सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हैं. ये महिलाएँ दुनिया की सबसे सुंदर महिलाओं में गिनी जाती हैं. उनकी त्वचा की रंगत हल्की होती है और उनकी आँखों में एक खास चमक होती है, जो इन्हें औरों से अलग बनाती है. इनकी सुंदरता के कारण ही इन्हें "वर्ल्ड्स मोस्ट ब्यूटीफुल वूमन" का खिताब मिला है.
कालाश घाटी का इतिहास और शुजो
यह माना जाता है कि कालाश घाटी में रहने वाले लोग यूनानी सम्राट सिकंदर महान के सैनिकों के वंशज हैं. उनके हल्के रंग और नीली आँखों की विशेषताएँ इस बात का सबूत मानी जाती हैं कि उनका रिश्ता सिकंदर के साथ है. कालाश लोग अपने पूर्वजों को शालक शाह के रूप में मानते हैं, जो सिकंदर के सेनापति से संबंधित थे. इसके अलावा, कुछ लोग यह मानते हैं कि सिकंदर के सैनिकों ने कालाश जनजाति को छोड़ दिया था और वे कालाश घाटी में बस गए थे.
महिलाओं का विवाह और प्यार की परंपरा
कालाश घाटी की महिलाओं के लिए शादी और प्रेम के मामले में कुछ विशेष परंपराएँ हैं. यहाँ की महिलाएँ अपने जीवनसाथी का चयन स्वतंत्र रूप से करती हैं. अगर शादी के बाद किसी महिला को किसी अन्य पुरुष से प्रेम हो जाता है, तो वह अपने पति को छोड़ कर उसे अपना जीवनसाथी बना सकती है. यहाँ तक कि महिलाएँ बिना किसी रोक-टोक के अन्य पुरुषों से बात भी कर सकती हैं और उनके साथ बाहर जा सकती हैं.
"बाशलेनी" - महिलाओं के लिए खास स्थान
यहाँ की महिलाएँ अपने मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान एक विशेष जगह पर रहती हैं, जिसे "बाशलेनी" कहा जाता है. यह एक तरह की अलग संरचना होती है, जहाँ महिलाएँ अपने उन दिनों में और गर्भावस्था के दौरान रहती हैं. इस दौरान, वे समुदाय में नहीं आ सकतीं, लेकिन वे खेतों में काम करने के लिए बाहर जा सकती हैं.
पति बदलने की परंपरा
यहाँ की महिलाओं को अपने पति को बदलने की स्वतंत्रता होती है. अगर कोई महिला अपने पहले पति से खुश नहीं होती या किसी दूसरे पुरुष से प्रेम करती है, तो वह उस पुरुष से विवाह कर सकती है. लेकिन, इसमें एक खास परंपरा है: नया पति पहले पति से दोगुना खर्च करेगा. इसका मतलब है कि अगर महिला अपने पहले पति को छोड़ती है, तो नए पति को उसे दोगुना दहेज देना होगा जो पहले पति ने दिया था.


